वन विभाग हुआ चौकन्ना

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में शिकारियों के फंदे में फंसी बाघिन फिलहाल तो बच गई है, लेकिन अब भी उसकी जान को खतरा बना हुआ है। इस घटना ने वन विभाग को चौंकन्ना कर दिया है। राज्य गठन से अब तक छह बाघों को शिकारियों ने मारा है। प्रदेश में बाघ के शिकार की आखिरी घटना वर्ष 2020 में दर्ज की गई थी।
प्रदेश में वर्ष 2001 से कुछ वर्षों के अंतराल में बाघों के शिकार की छह घटनाएं वन विभाग के आंकड़ों में दर्ज हैं। जानकारों का कहना है कि यह संख्या अधिक हो सकती है, लेकिन आमतौर पर वन विभाग की ओर से ऐसी घटनाओं का छुपा दिया जाता है या उनकी मौत को प्राकृतिक या आपसी संघर्ष में मारा जाना दर्शा दिया जाता है। वर्तमान में जो घटना सामने आई है, उसमें वन विभाग की ओर से कहा जा है, यह पुरानी घटना है। जिस तरह से तार बाघ के पेट में भीतर तक धंसा है, और मांस उसके ऊपर चढ़ गया है, उससे लगता है यह करीब एक साल पहले की घटना है।
बीते दिनों राजाजी टाइगर रिर्जव में कॉर्बेट से दो बाघों को ट्रांसलोकेट किया गया। उसी दौरान लगाए गए कैमरा ट्रैप में यह बाघिन दिखाई दी थी। कॉर्बेट प्रशासन की ओर से इस संबंध में एनटीसीए को भी सूचित कर दिया गया था। एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव ने इसकी पुष्टि की है। इधर, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक का कहना है कि घटना की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाएगी, ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।
उधर, कॉर्बेट के निदेशक धीरज पांडेय का कहना है कि कॉर्बेट का कुछ इलाका यूपी की सीमा से लगता है, कई बार बाघ और हाथी उस इलाके में चले जाते हैं, जो किसान फसलें उगाते हैं, संभवत उस इलाके में बाघिन फंदे में फंसी हो। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद से कॉर्बेट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। क्षेत्र में फुट और ड्रोन के माध्यम से पेट्रोलिंग की जा रही है। विभाग की एसओजी भी अपने स्तर से जांच में जुटी है।