आज से स्कूलों में गूंजेगी श्रीमद्भगवद् गीता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ श्लोकों का होगा पाठ

देहरादून, 15 जुलाई – उत्तराखंड के सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में आज से प्रार्थना सभा के दौरान श्रीमद्भगवद् गीता के श्लोकों का पाठ होगा शुरू। इस पहल के तहत न केवल श्लोकों का उच्चारण किया जाएगा, बल्कि छात्रों को उनका अर्थ समझाते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी परिचित कराया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा निदेशक ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए।
निर्देशों के अनुसार, हर दिन प्रार्थना सभा में कम से कम एक श्लोक अर्थ सहित छात्रों को सुनाया जाएगा। सप्ताह में एक दिन ‘सप्ताह का श्लोक’ घोषित कर उसे सूचना पट्ट पर अर्थ सहित लिखा जाएगा और छात्र-छात्रा उसका अभ्यास करें एवं सप्ताहांत में उस पर छात्रों से चर्चा व फीडबैक लिया जाएगा।
वैज्ञानिक सोच और मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर
शिक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वे श्रीमद्भगवद् गीता के श्लोकों की व्याख्या करते हुए छात्रों को यह समझाएं कि इनसे व्यवहारिक जीवन में कैसे नेतृत्व कौशल, आत्म-नियंत्रण, निर्णय क्षमता, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच विकसित की जा सकती है। शिक्षा विभाग का मानना है कि गीता में दिए गए सिद्धांत केवल धार्मिक नहीं बल्कि सांख्य, मनोविज्ञान, नैतिक दर्शन व व्यवहार विज्ञान से जुड़े हुए हैं।
शिक्षा निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया है कि गीता के श्लोकों को केवल पठन सामग्री के रूप में न पढ़ाया जाए, बल्कि छात्रों के व्यक्तित्व और जीवन व्यवहार में उसका प्रभाव दिखे, इसके लिए स्कूल स्तर पर सतत प्रयास किए जाएं।
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गीता-रामायण को पाठ्यचर्या में शामिल करने का निर्णय
श्रीमद्भगवद् गीता और रामायण को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा में भी सम्मिलित कर लिया गया है। शिक्षा निदेशक ने बताया कि अगले शिक्षा सत्र से नई पाठ्यपुस्तकों को लागू करने की योजना है, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित सामग्री पर विशेष बल दिया जाएगा। डॉ. मुकुल कुमार सती ने कहा, “श्रीमद्भगवद् गीता न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक व मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शक भी है, जो छात्र-छात्राओं को श्रेष्ठ नागरिक बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।”