ग्लोबल भूगोल सम्मेलन में विशेषज्ञों की चेतावनी — शहरीकरण और घटते गांवों से बिगड़ रहा पर्यावरणीय संतुलन

ग्लोबल भूगोल सम्मेलन में विशेषज्ञों की चेतावनी — शहरीकरण और घटते गांवों से बिगड़ रहा पर्यावरणीय संतुलन

श्रीनगर गढ़वाल: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय भूगोल सम्मेलन का समापन जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और पर्यावरणीय असंतुलन पर विस्तृत चर्चा के साथ हुआ। विशेषज्ञों ने पहाड़ी क्षेत्रों में तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और घटते ग्रामीण इलाकों को पारिस्थितिक असंतुलन का प्रमुख कारण बताया। उनका कहना था कि हिमालयी राज्यों की विकास योजनाएँ भौगोलिक दृष्टिकोण से तैयार की जानी चाहिए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं को रोका जा सके और पर्यावरणीय संतुलन बरकरार रहे।

मिजोरम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वी.पी. सती ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों से गांवों का पलायन पारंपरिक ग्रामीण ढांचे को कमजोर कर रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोग्राफर्स (IIG) के 46वें वार्षिक अधिवेशन के अंतर्गत आयोजित इस सम्मेलन में भारत, ब्रिटेन, लक्ज़मबर्ग और नेपाल के शोधकर्ताओं व शिक्षाविदों ने भाग लिया। सम्मेलन में पर्यावरणीय परिवर्तन, गतिशील पृथ्वी प्रणाली, सतत विकास और जलवायु संकट जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।

गढ़वाल विश्वविद्यालय की कला संकाय की डीन प्रोफेसर मंजीला राणा ने कहा कि ऐसे वैश्विक सम्मेलन शोध और नीति निर्माण के लिए अमूल्य दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। वहीं, IIG के अध्यक्ष प्रो. डी.के. नायक ने हिमालयी राज्यों जैसे उत्तराखंड के लिए भौगोलिक रूप से सूचित विकास रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे आपदा जोखिमों को कम किया जा सके।

सम्मेलन संयोजक प्रो. एम.एस. पंवार ने बताया कि सम्मेलन की सिफारिशों को एक रिपोर्ट के रूप में संकलित कर 31 अक्टूबर तक नीति आयोग और सेतु आयोग को भेजा जाएगा। सम्मेलन के दौरान 200 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए और करीब 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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भौगोलिक अनुसंधान में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. सागर को ‘यंग जियोग्राफर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।

Saurabh Negi

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