एक तरफ बंद हाईवे, दूसरी तरफ मिला जाम और फिर एम्बुलेंस हुई ख़राब, युवक की हुई मौत
केदारनाथ में खराब स्वास्थ्य सेवाओं और बारिश के कारण बंद पड़े हाईवे ने एक 38 वर्षीय युवक प्रमोद नौटियाल की जान ले ली। पेट दर्द और खून की उल्टी की शिकायत के बाद, गुप्तकाशी से अगस्त्यमुनि तक के इलाज के लिए प्रमोद को ले जाने में पांच घंटे से अधिक का समय लग गया, जिससे समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से उसकी रास्ते में ही मौत हो गई। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि हाईवे खुला होता, तो युवक को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था और उसकी जान बच सकती थी।
बीते मंगलवार को प्रमोद नौटियाल के पेट में अचानक तेज दर्द और खून की उल्टी होने लगीं। परिजन उसे तुरंत गुप्तकाशी के एलोपैथिक चिकित्सालय ले गए, जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार कर उसे गंभीर हालत के चलते हायर सेंटर रेफर कर दिया। सुबह 11 बजे प्रमोद को लेकर एंबुलेंस सीएचसी अगस्त्यमुनि के लिए रवाना हुई, लेकिन बारिश से रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे सेमी-भैंसारी में बंद पड़ा था। मजबूरी में एंबुलेंस को विद्यापीठ-कुंड मार्ग से भेजा गया, जहां भीषण जाम ने इलाज में और देरी कर दी।
भीषण जाम के चलते एंबुलेंस को वापस गुप्तकाशी लौटना पड़ा, जहां लगभग दो घंटे का समय बर्बाद हो गया। दोपहर एक बजे के करीब एंबुलेंस गुप्तकाशी-बसुकेदार मार्ग से दोबारा अगस्त्यमुनि के लिए रवाना हुई, लेकिन इस मार्ग पर भी जाम था, जिससे लगभग एक घंटा और बर्बाद हो गया।
जाम खुलने के बाद जैसे ही एंबुलेंस कुछ किलोमीटर आगे बढ़ी, वह खराब हो गई। स्टाफ ने दूसरी एंबुलेंस मंगाने के लिए अगस्त्यमुनि के सीएचसी से संपर्क किया, लेकिन दूसरी एंबुलेंस पहुंचने में भी दो घंटे लग गए। शाम चार बजे के करीब प्रमोद को अगस्त्यमुनि अस्पताल लाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर हाईवे ठीक होता, तो मरीज को एक घंटे से भी कम समय में अस्पताल पहुंचाया जा सकता था, जिससे उसकी जान बच सकती थी। पूर्व विधायक मनोज रावत, जिला पंचायत सदस्य गणेश तिवारी, विनोद राणा और पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रीता पुष्पवाण ने कहा कि करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद केदारघाटी के हाईवे और संपर्क मोटर मार्ग बदहाल स्थिति में हैं, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ये घटना स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे की दयनीय स्थिति को उजागर करती है, जिसमें सुधार की सख्त आवश्यकता है। यह न केवल सरकार के लिए बल्कि स्थानीय प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है कि आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करने से लोगों की जान पर बन सकती है।