उत्तरकाशी में बादल फटने से घर हुआ तबाह, बीमा कंपनी पर १२ साल बाद ‘बरसा’ उपभोक्ता आयोग
उत्तरकाशी के वीरेंद्र राणा को 12 साल बाद भी बीमा कंपनी से अपने घर का उचित मुआवजा नहीं मिल पाया है। बीमा कंपनी और वीरेंद्र के बीच कानूनी लड़ाई चलती रही, लेकिन कोई ठोस फायदा नहीं मिल पाया। अब राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को फटकारते हुए मुआवजे के भुगतान का निर्देश दिया है। उत्तरकाशी के वीरेंद्र राणा ने अपने बहुमंजिला मकान का करीब 20 लाख रुपये का बीमा कराया था। तीन अगस्त 2012 की रात आसमान से तबाही बरसी और भागीरथी नदी में बाढ़ से उनका मकान बर्बाद हो गया। उन्होंने जब कंपनी के सामने अपना दावा पेश किया, तो कंपनी उचित रकम देने में आनाकानी करने लगी। एक साल बाद कंपनी ने सिर्फ 6.39 लाख रुपये का भुगतान किया। वीरेंद्र ने सितंबर 2013 में उत्तरकाशी के जिला उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। जिला आयोग ने साल 2018 में फैसला दिया कि बीमा कंपनी ने सेवा में कोताही बरती और 6.39 लाख के अलावा दो लाख रुपये और पीड़ित को भुगतान करे, वह भी छह प्रतिशत ब्याज के साथ।इस आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष अपील की। कंपनी ने दलील दी कि उपभोक्ता ने अपनी संपत्ति के बारे में सही सूचना नहीं दी थी। बीमा करवाते समय मकान का मूल्यांकन सही नहीं हुआ, जिससे प्रीमियम कम भरा गया।