नई दिल्ली,  दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें मच्छरों के काटने से होती हैं। यही वजह है कि मच्छर आज सबसे खतरनाक जीव बन गया है। इसके काटने से डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, मलेरिया, जीका वायरस जैसी जानलेवा बीमारियां फैलती हैं। इससे हर साल करीब दस लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं। मच्छरों के शिकार इन लोगों में से ज्यादातर गरीब देशों के होते हैं।

बरसात के मौसम में कई जगह पर पानी भर जाने से मच्छरों की तादात तेज़ी से बढ़ने लगती है। अगर मच्छर नहीं होते तो ये खतरनाक बीमारियां भी नहीं फैलती। तो, क्या इसका मतलब यह है कि मच्छरों को दुनिया से पूरी तरह से मिटा देना चाहिए।

क्या मच्छरों को खत्म करने के हैं नुकसान?
सवाल ये है कि क्या ऐसे मच्छरों को ख़त्म से नुक़सान भी हो सकते हैं? फ्लोरिडा के कीट वैज्ञानिक फिल लोनीबस कहते हैं कि मच्छरों का इस तरीके से खात्मा करने के ऐसे कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो हम नहीं चाहेंगे।

लोनीबस का कहना है कि मच्छर पौधों का रस पीकर रहते हैं। इनके ज़रिए पौधों के पराग फैलते हैं। जिनकी वजह से फूलों का फल के तौर पर विकास होता है। मच्छरों को कई परिंदे और चमगादड़ खाते हैं। वहीं इनके लार्वा से मछलियों और मेंढकों को खाना मिलता है। ऐसे में मच्छरों के ख़ात्मे से क़ुदरती फूड चेन पर भारी असर पड़ सकता है।

वहीं, कई वैज्ञानिक इस आशंका को ख़ारिज भी करते हैं। उनके मुताबिक, मच्छरों के खात्मे पर दूसरे जीव इस फूड चेन की कड़ी बन जाएंगे। धरती के विकास के दौरान बहुत-सी नस्लें खत्म हो गई थीं। इन प्रजातियों के खात्मे से ऐसा थोड़े ही हुआ कि तबाही आ गई। उनकी जगह नई प्रजातियों ने ले ली।

फिल लोनीबस इसके जवाब में कहते हैं कि अगर मच्छरों की जगह नए जीवों ने ले ली, तो भी तो दिक़्क़त ही है। वो चेतावनी देते हैं कि मच्छरों की जगह लेने वाला नया जीव वैसा ही या उससे भी ज़्यादा ख़तरनाक हो सकता है। इसका इंसानों की सेहत पर और भी खतरनाक असर पड़ सकता है। हो सकता है कि इस नए जीव से कई नई तरह की बीमारियां और तेज़ी से फैल जाएं।