उत्तराखंड के 104 वर्ग किलोमीटर जंगल पर अवैध कब्जा, वन विभाग की भूमिका पर सवाल

उत्तराखंड के 104 वर्ग किलोमीटर जंगल पर अवैध कब्जा, वन विभाग की भूमिका पर सवाल

उत्तराखंड के जंगलों पर अवैध कब्जे के मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। प्रदेश के 104.54 वर्ग किलोमीटर जंगल पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया, और वन विभाग को इस बात की भनक तक नहीं लगी। इस बीच, जंगलों में सैकड़ों पेड़ काट दिए गए, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है।

वन विभाग की ओर से हाल ही में की गई कार्रवाई में मात्र 11.5 हेक्टेयर वन भूमि को ही कब्जामुक्त कराया जा सका है। यह स्थिति तब है जब विभाग ने 2017-2018 में प्रकाशित उत्तराखंड वन सांख्यिकी किताब में 9506.2249 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जे का उल्लेख किया था। हालांकि, पिछले साल मुख्यमंत्री के निर्देश पर चलाए गए अभियान के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 11814.47 हेक्टेयर हो गया।

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इस बीच, वन मंत्री सुबोध उनियाल ने माना कि कुछ मामलों में अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई है, और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जिन स्थानों पर कब्जा किया गया है, वहां से कब्जाधारियों को हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है।

मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा कि जहां भी लापरवाही या जानबूझकर जानकारी छिपाने की बात सामने आएगी, वहां पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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