देहरादून में मरीज को अस्पताल में भर्ती तो दूरे एंबुलेंस का इंतजाम करने तक में छूट रहे पसीने
देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर में आमजन की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। मरीज को अस्पताल में भर्ती तो दूरे एंबुलेंस का इंतजाम करने तक में पसीने छूट जा रहे हैं। शहर के अधिकतर एंबुलेंस संचालकों के नंबर या तो स्विच ऑफ हैं, या फिर नेटवर्क क्षेत्र के बाहर हैं। यही नहीं, जो नंबर लग भी रहे हैं, उन पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है। मुश्किल से कुछ नंबर पर ही बात हो पा रही है। उनके पास भी तत्काल सुविधा नहीं है। वह दो या तीन घंटे बाद एंबुलेंस भेजने की बात कह रहे हैं। उसमें भी एंबुलेंस में ऑक्सीजन की सुविधा भी नहीं मिल रही है।
केस 1 : प्रेमनगर निवासी गौरव नौटियाल ने अपने स्वजन को मसूरी रोड स्थित एक अस्पताल में ले जाने के लिए एंबुलेंस संचालकों को फोन किए। कई नंबर स्विच ऑफ मिले, जबकि कुछ नेटवर्क क्षेत्र के बाहर थे। उन्होंने नजदीकी नर्सिंग होम की एंबुलेंस से संपर्क किया, लेकिन उन्हें बताया गया कि यह एंबुलेंस नर्सिंग होम के मरीजों के लिए है। इसके बाद वह निजी वाहन से ही मरीज को अस्पताल लेकर गए।
केस 2 : सहस्रधारा रोड निवासी रजत सिंह ने एंबुलेंस की सेवा के लिए कई नंबरों पर फोन किया। काफी देर प्रयास करने के बाद एक नंबर पर बात हुई। उन्होंने एंबुलेंस दो से तीन घंटे बाद उपलब्ध होने की बात कही। उसमें भी ऑक्सीजन मिलेगी या नहीं इसका कोई आश्वासन नहीं दिया गया। उनका कहना था कि ऑक्सीजन की किल्लत चल रही है। ऐसे में बहुत मुश्किल से ऑक्सीजन मिल पा रही है।
ऋषिकेश से गाजियाबाद 30 हजार में गई एंबुलेंस
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के साथ आवश्यक सेवाओं की कालाबाजारी भी चरम पर है। कई जगह एंबुलेंस संचालक भी मौके का फायदा उठा रहे हैं। ऐसे ही एक मामला ऋषिकेश में आया। जहां एंबुलेंस में गाजियाबाद तक जाने के लिए तीस हजार रुपये लिए गए। आपदा के समय में इस तरह से मौके का फायदा उठाना मानवता को शर्मसार करने जैसा है।