श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि में कम अंक वालों की मौज, टॉपर्स के हाथ गृह विज्ञान का विषय

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि में कम अंक वालों की मौज, टॉपर्स के हाथ गृह विज्ञान का विषय

 सरकारी सिस्टम की खामियों के कारण शीर्ष अंक पाने वाले मेधावी छात्रों को पहले दाखिले के लिए दर-दर भटकना पड़ा और अब पसंदीदा विषय चुनने से भी वंचित होना पड़ा है। जबकि, कम अंक वाले छात्रों को पहली मैरिट सूची में स्थान देने के साथ पसंदीदा विषय दे दिए गए। हम बात कर रहे हैं प्रदेश के शीर्ष सरकारी श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की, जहां ऋषिकेश परिसर में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से संचालित समर्थ पोर्टल में तकनीकी खामियों के चलते मेधावी छात्रों को अपने सपनों से समझौता करने को मजबूर होना पड़ रहा है।  यह विडंबना ही है कि कम अंक वाले छात्रों को पसंदीदा विषय दे दिए, जबकि ज्यादा अंक वाले वालों गृह विज्ञान, संस्कृत, संगीत जैसे शेष अंतिम विषय दिए गए हैं।

समर्थ पोर्टल के रूप में नई व्यवस्था

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों व संबद्ध महाविद्यालयों में दाखिला प्रक्रिया में एकरूपता लाने के उद्देश्य से समर्थ पोर्टल के रूप में नई व्यवस्था की गई है। समर्थ पोर्टल में आवेदन प्रक्रिया के अंतर्गत कई तकनीकी खामियों के कारण मैरिट सूची के निर्धारण का आधार प्राप्तांक न होकर ‘पहले आओ-पहले पाओ्’ बनता नजर आ रहा है, जिससे सैकड़ों मेधावी छात्र प्रभावित हो रहे हैं। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के ऋषिकेश परिसर में बीए प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए पहली मैरिट सूची जारी हुई, जिसमें सामान्य श्रेणी में सर्वाधिक प्राप्तांक 1154 व कटआफ 676 रही। इसके बाद दूसरी सूची में कटआफ 525 (पुरूष) व 487 (महिला) रही। जबकि तीसरी सूची में मैरिट उन मेधावियों को मौका दिया गया, जिनके सर्वाधिक अंक थे और ये पहली मैरिट के हकदार थे।

तीसरी सूची में सर्वाधिक प्राप्तांक 1159 व कटआफ 662 (पुरूष व महिला) रही। इसी 894 से 753 कर प्राप्तांक वालों को भी छठीं सूची में स्थान मिल सका। मैरिट सूची की इस विसंगति के कारण प्रारंभिक सूची में स्थान पाने वाले छात्र-छात्राओं को दो पसंदीदा विषय चुनने में प्राथमिकता दी गई है। इससे मुख्य विषयों की सीटें प्रारंभ में ही फुल हो चुकी हैं। जबकि तीसरी, चौथी, पांचवीं व छठवीं सूची के ज्यादा प्राप्तांकों वाले मेधावियों को पसंदीदा विषय लेने से वंचित होना पड़ गया है। ये छात्र राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, इतिहास, इंग्लिश, इकोनामिक्स जैसे मुख्य विषय लेना चाहते हैं, लेकिन अब वे अंत में बचने वाले गृह विज्ञान, संस्कृत, संगीत आदि विषय लेने को मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।

कुल 550 सीटें, शीर्ष 198 को मिलता है पसंदीदा विषय

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के ऋषिकेश परिसर में समर्थ पोर्टल प्रभारी श्रीकृष्ण नौटियाल के अनुसार, पहले बीए में 616 सीटें थीं, लेकिन इसमें गणित विषय की 66 सीटें कम की गई हैं, जिसके कारण वर्तमान में 550 सीटें उपलब्ध हैं। इनमें राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, इंग्लिश जैसे मुख्य विषयों की 198 सीटें हैं।

इन्हीं विषयों की सबसे ज्यादा मांग रहती है। मैरिट में 199वें व इसके बाद वाले छात्र मुख्य विषय चुनने से वंचित रह जाते हैं। बताया कि बीए में छह विषय हैं, जिनमें दो विषय कोर फैकल्टी के होते हैं, जिन्हें अपनी पसंद से चुनना होता है।

मैरिट में विसंगति का ये है कारण

दरअसल, राज्य के सभी सरकारी विवि व संबद्ध महाविद्यालयों में दाखिला प्रक्रिया समर्थ पोर्टल पर ही संचालित की जा रही है। मौजूदा नये सत्र 2024-25 में राज्य के अधिकांश विवि व महाविद्यालयों में सीटों की तुलना में आवेदनों में कमी देखने को मिली थी, लेकिन सिर्फ श्रीदेव सुमन विवि का ऋषिकेश परिसर एकमात्र महाविद्यालय था, जिसमें सीटों की तुलना में पर्याप्त आवेदन आए थे।

ऐसे में कम आवेदन वाले महाविद्यालयों के आग्रह पर उच्च शिक्षा विभाग ने समर्थ पोर्टल पर आवेदन की अंतिम तिथि को दो चरणों में क्रमवार आगे बढ़ाया। इस दौरान सभी महाविद्यालयों की तरह ऋषिकेश परिसर में भी आवेदन खुल गए थे। ऐसे में ऋषिकेश परिसर में दूसरे व तीसरे चरण में भी बीए, बीकाम व बीएससी में सैकड़ों पंजीकरण हुए और आवेदन स्वीकृत कर लिए गए। परंतु जब मैरिट सूची जारी हुई तो यह प्राप्ताकों के आधार पर नहीं तैयार की गई।

पहले चरण में आवेदन करने वाले छात्रों का चयन किया गया और दूसरे व तीसरे चरण में सर्वाधिक अंक वालों को स्थान नहीं मिला। विवि के ही कई प्रोफेसर का भी मानना है कि इस समस्या के समाधान के दो विकल्प थे। पहला यह कि यदि सीटों की तुलना में पंजीयन पर्याप्त प्राप्त हो चुके थे तो अगले चरण के पंजीयन स्वीकार नहीं किए जाते। दूसरा यह कि यदि पंजीयन स्वीकार कर लिए गए हैं तो मैरिट निर्धारण में सभी छात्रों के प्राप्तांकों के आधार पर मैरिट सूची बनाई जानी चाहिए थी।

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कई सर्वाधिक अंक वाले मेधावी छात्रों को प्रथम व द्वितीय मैरिट सूची में स्थान नहीं मिल सका था। इसका कारण बाद में आवेदन करना था, इसलिए कई सीटें प्रबंधित कर अन्य सूची में सर्वाधिक अंक वाले छात्रों को स्थान दिया गया है, लेकिन अब उनकी शिकायत हैं कि सर्वाधिक अंक हासिल करने के बावजूद वे पसंदीदा विषय नहीं चुन पा रहे हैं – श्रीकृष्ण नौटियाल, समर्थ पोर्टल प्रभारी, श्रीदेव सुमन विवि ऋषिकेश परिसर

ऋषिकेश परिसर में प्रारंभ में ही सीटों के सापेक्ष पर्याप्त आवेदन प्राप्त हो गए थे, जिसके कारण पहले पंजीकरण कराने वाले छात्रों को मैरिट सूची में प्राथमिकता मिली है। इसी कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है – प्रो. एमएस रावत, परिसर निदेशक, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि

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