सर्जिकल स्ट्राइक की असली घटना पर आधारित ‘उरी’ में राजनीतिक प्रचार का समावेश

सर्जिकल स्ट्राइक की असली घटना पर आधारित ‘उरी’ में राजनीतिक प्रचार का समावेश

नई दिल्ली –
फिल्म: उरी

डायरेक्टर: आदित्य धर

स्टार कास्ट: विक्की कौशल, यामी गौतम, परेश रावल, मोहित रैना

रेटिंग: 3.5

सिनेमा में देशभक्ति के सब्जेक्ट पर फिल्म बनाकर दर्शकों के दिलों में जगह बनाने का फॉर्मूला नया नहीं है. लेकिन उरी के साथ खास बात है कि ये सर्जिकल स्ट्राइक की असली घटना पर आधारित है. सितंबर 2016 को भारत ने LoC के पार जाकर पाकिस्तान से उरी अटैक का बदला लिया था. पहली फिल्म में आदित्य धर ने अच्छा डायरेक्शन किया है. विक्की कौशल पहली बार फौजी के रोल में नजर आए. सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी विक्की कौशल की फिल्म कैसी बनी है, चलिए जानते हैं..

कहानी

उरी की कहानी आर्मी के जांबाज जवान विहान शेरगिल (विक्की कौशल) के इर्द गिर्द ही घूमती है. आतंकी हमले के बाद सीमा पार जाकर कैसे दुश्मनों के छक्के छुड़ाने हैं और कैसे सर्जिकल स्ट्राइक करनी है, इसकी पूरी प्लानिंग विहान के जिम्मे है. विहान मिशन के लिए की जाने वाली प्लानिंग और फुल प्रूफ रणनीति के लिए फेमस हैं. सर्जिकल स्ट्राइक मिशन को पूरा करने के बाद विहान आर्मी लाइफ से रिटायर होना चाहता है क्योंकि उसकी मां को उसकी जरूरत है. तब पीएम मोदी के रोल में दिखे रजित कपूर ने विहान को याद दिलाया कि “देश भी तो हमारी मां है”.

मूवी का सेकंड हाफ सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग और एक्शन पर फोकस करता है. उरी की कहानी और क्लाइमेक्स के बारे में दर्शक पूरी तरह वाकिफ है, बावजूद इसके सेना कैसे इस ऑपरेशन को अंजाम देती है, इसे पर्दे पर देखना दिलचस्प है. इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

क्यों देखनी चाहिए फिल्म?

उरी देशभक्ति के भाव से सराबोर फिल्म है. मूवी के डायलॉग शानदार हैं. एक संवाद में विहान चिल्लाते हैं, ”वे कश्मीर चाहते हैं और हम उनके सिर.” उरी एक डीसेंट फिल्म है. मूवी के एक्शन सीन्स दमदार बन पड़े हैं. गोलीबारी के अलावा मूवी में लात-घूसों का एक्शन भी दिखाया गया है. एक्शन सीक्वेंस में विक्की कौशल ने अच्छा काम किया है. एक्टर ने हर सीन में बेहतरीन काम किया है. फिल्म के लिए की गई उनकी मेहनत साफ नजर आती है. फिल्म पिंक में नजर आईं कीर्ति कुलहारी के खाते में ज्यादा कुछ नहीं आया. यामी गौतम का काम अच्छा है. टीवी एक्टर मोहित रैना ने भी अच्छा काम किया है. फिल्म आखिर तक बांधकर रखने में कामयाब हुई है.

क्या है फिल्म की कमजोर कड़ियां?

भारत और पाकिस्तान के सीन में अंतर साफ तौर पर नजर आता है. इस्लामाबाद का सीन दिखाने के लिए पाकिस्तान का झंडा रखा जाता है. सेकंड पार्ट के मुकाबले फिल्म का फर्स्ट हाफ ज्यादा स्ट्रॉन्ग है. ऐसा लगता है मानो इंटरवल के बाद मेकर्स अति उत्साह में कहानी का सार भूल गए हो. इससे नकारा नहीं जा सकता कि मूवी में राजनीतिक प्रचार साफ नजर आता है. 2019 के मद्देनजर मूवी का रिलीज होना राजनीतिक एजेंडे को दर्शाता है.

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