दो साल में भी पूरी नहीं हुई शिक्षा अधिकारियों के स्टिंग प्रकरण की जांच
नैनीताल हाईकोर्ट ने पौड़ी जिले के शिक्षा अधिकारियों का सितंबर 2018 में हुए स्टिंग प्रकरण की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह मामले की जांच कर तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करें। कोर्ट ने पूछा कि जो अधिकारी इसमें शामिल हैं उन पर क्या कार्रवाई की गई है। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष पौड़ी निवासी पुष्कर सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा कि मामले की जांच की क्या स्थिति है। इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि जाचं चल रही है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 2022 में इस मामले में मुकदमा दर्ज हो चुका है और दो साल पूरे होने को हैं, लेकिन अभी तक जांच क्यों पूरी नहीं हो पाई।
यह था मामला
सितंबर 2018 में पौड़ी के तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों का कथित स्टिंग हुआ था। इसमें एक कॉलेज में अपने संबंधी की नियुक्ति करने व घूस लेने की वार्ता है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। कुछ अखबारों ने भी इसे प्रकाशित किया था। इस मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों को प्रार्थनापत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जनहित याचिका में तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह रावत, हरे राम यादव, प्रबंधक उच्च माध्यमिक विद्यालय कोटगढ़ पौड़ी, मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पटल सहायक अनिल नेगी सहित सरकार को पक्षकार बनाया गया है।