कैंची धाम बाईपास की कहाँ अटकी है सरकारी गाडी, अब क्या सच में शुरू बाईपास होगा निर्माण?

नैनीताल – दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैंची धाम और भवाली के बीच लगने वाले भीषण जाम से निजात दिलाने के लिए एक नए बाईपास मोटर मार्ग की घोषणा की थी। उस समय राज्य सरकार ने इसे नैनीताल विधानसभा क्षेत्र के लिए बड़ी सौगात बताया था। प्रोजेक्ट को वित्तीय और प्रशासनिक मंजूरी मिल चुकी थी, टोकन मनी भी जारी कर दी गई थी, और यहां तक कि पहले 8 किलोमीटर के डामरीकरण और चौड़ीकरण के लिए 12.14 करोड़ रुपये भी स्वीकृत हो चुके थे। लेकिन मई 2025 में आकर यह सवाल उठता है कि आखिर इस परियोजना में इतनी देरी क्यों हुई?
अब जाकर, लगभग डेढ़ साल बाद, सरकार ने कैंची धाम बाईपास के लिए वन भूमि हस्तांतरण को सैद्धांतिक मंजूरी मिलने की जानकारी दी है। मुख्यमंत्री धामी के अनुसार, इस बाईपास के लिए कुल 19 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाया जाना है, जिसमें शिप्रा नदी पर एक पुल भी शामिल है। पहले 8 किमी मार्ग पर कुछ कार्य हुआ भी है, लेकिन बाकी 11 किमी अब तक रुका हुआ था क्योंकि वह हिस्सा वन भूमि से होकर गुजरता है।
अब सरकार का कहना है कि मुख्यमंत्री के विशेष प्रयासों और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात के बाद अब वन मंत्रालय की स्वीकृति मिल गई है। हालांकि, यह स्वीकृति सैद्धांतिक है — यानी अभी भी प्रक्रियात्मक अड़चनें आ सकती हैं। यही बात लोगों के मन में सवाल भी खड़ा कर रही है: क्या बाईपास का निर्माण अब वाकई तेज़ी से होगा, या फिर ये सिर्फ एक और राजनीतिक घोषणा बनकर रह जाएगी?
कैंची धाम, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, आज भी जाम और अव्यवस्था से जूझ रहा है। दिसंबर 2023 में यह कहा गया था कि जल्द ही बाईपास बनने से श्रद्धालु बिना जाम फंसे धाम पहुंच सकेंगे, भवाली की बड़ी आबादी को राहत मिलेगी और पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था होगी। लेकिन मई 2025 तक न तो पूरा बाईपास बना, न पार्किंग, और न ही लोगों को ठोस समाधान मिला।
स्थानीय लोगों का कहना है कि “हर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन ट्रैफिक मैनेजमेंट या सड़क सुधार की ज़मीन पर कोई ठोस योजना दिखती नहीं है।”
सरकार ने अब एक बार फिर “शीघ्र निर्माण” का वादा किया है। लेकिन अब जनता को वादों से नहीं, काम की रफ्तार से मतलब है। क्योंकि कैंची धाम बाईपास अब सिर्फ एक धार्मिक स्थल की बात नहीं रह गया — यह उत्तराखंड की प्रशासनिक इच्छाशक्ति और परियोजना निष्पादन क्षमता का टेस्ट केस बन गया है।