कनवाड़ी की पहाड़ी दरकने से स्टेट हाईवे पर संकट, यात्रियों और सेना की आवाजाही खतरे में

कनवाड़ी की पहाड़ी दरकने से स्टेट हाईवे पर संकट, यात्रियों और सेना की आवाजाही खतरे में

कुमाऊं की लाइफ लाइन अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे बंद होने के बाद खैरना-रानीखेत स्टेट हाईवे ही मुख्य विकल्प के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन भुजान क्षेत्र के पास कनवाड़ी की पहाड़ी से हुए ताजा भूस्खलन ने हालात गंभीर बना दिए हैं। पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने से यात्रियों और पर्यटकों को जोखिम उठाकर सफर करना पड़ रहा है। यही सड़क सेना के वाहनों की आवाजाही का भी अहम मार्ग है, जिससे खतरा और बढ़ गया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि दरक रही पहाड़ी पर तुरंत उपचारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में स्टेट हाईवे पूरी तरह प्रभावित हो सकता है। यह समस्या नई नहीं है। कुछ वर्ष पहले कालिका मोड़ के पास भी बड़े भूस्खलन ने सड़क को खतरनाक बना दिया था। उस समय सरकार ने करीब 13 करोड़ रुपये खर्च कर सड़क और पहाड़ी की बुनियाद मजबूत करने का काम करवाया था। हालांकि, पांच साल पहले कोसी नदी के उफान में स्टेट हाईवे की नींव बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी।

अब शुक्रवार को हुए भूस्खलन ने चिंताओं को और गहरा दिया है। क्षेत्रीय संगठनों और नेताओं ने चेतावनी दी है कि लापरवाही बरती गई तो भविष्य में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य दिलीप सिंह बोहरा और व्यापार मंडल अध्यक्ष पातली आनंद सिंह नेगी ने भी बिगड़ते हालात पर चिंता जताई है।

क्षेत्रीय जन विकास संघर्ष समिति के नेताओं शिवराज सिंह बिष्ट, संजय सिंह, दीपक सिंह, मनोज सिंह बिष्ट, बिशन सिंह जंतवाल, विवेक पंत और देवेश कांडपाल ने एक स्वर में मांग की है कि पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि बिना उपचार कार्य के हर वर्ष बरसात में स्थिति और भयावह हो जाएगी।

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लोनिवि के अधिशासी अभियंता दीप चंद्र पांडे ने बताया कि मलबा हटाने के लिए मशीनें लगाई गई हैं। साथ ही दरक रही पहाड़ी के स्थायी उपचार का प्रस्ताव तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा। फिलहाल यात्रियों और वाहनों को बेहद जोखिम उठाकर सफर करना पड़ रहा है।

Saurabh Negi

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