केदारनाथ हेलीकॉप्टर हादसा: आर्यन एविएशन के प्रबंधकों को नहीं मिली अग्रिम जमानत, कोर्ट ने माना लापरवाही का गंभीर मामला

केदारनाथ हेलीकॉप्टर हादसा: आर्यन एविएशन के प्रबंधकों को नहीं मिली अग्रिम जमानत, कोर्ट ने माना लापरवाही का गंभीर मामला

केदारनाथ से गौरीकुंड लौटते समय दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर मामले में आर्यन एविएशन कंपनी के दो वरिष्ठ अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका जिला एवं सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी है। हादसे में सात लोगों की मौत हुई थी, जिसमें पायलट समेत सभी यात्री शामिल थे।

प्रबंधक विकास तोमर और एकांउटेबल मैनेजर कौशिक पाठक पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 105 और वायुयान अधिनियम 1934 की धारा 10 के तहत केस दर्ज किया गया था। दोनों ने अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी, जिसे सत्र न्यायाधीश सहदेव सिंह ने सोमवार को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत

न्यायालय ने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि कंपनी ने यूकाडा (UCADA) द्वारा निर्धारित स्लॉट से पहले ही हेलीकॉप्टर संचालन की अनुमति दी और उड़ान भरी, जबकि कंपनी को इस बात की पूरी जानकारी थी कि केदारनाथ क्षेत्र में मौसम तेजी से बदलता है।

अदालत ने माना कि “सावधानी की कमी और संभावित लाभ के लिए की गई लापरवाही मानव जीवन के बड़े नुकसान का कारण बनी,” जिससे यह मामला गंभीर प्रकृति का बन जाता है और इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती।

यूकाडा ने 6 से 7 बजे तक का समय दिया था

जांच में सामने आया कि 15 जून को जब हादसा हुआ, उस दिन यूकाडा ने हेलीकॉप्टर संचालन के लिए सुबह 6 से 7 बजे तक का स्लॉट दिया था। लेकिन आर्यन एविएशन ने इससे पहले ही उड़ान भर दी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नियमों का उल्लंघन हुआ।

आवेदकों की ओर से दलील

अग्रिम जमानत की अर्जी में आवेदकों की ओर से वकील ने तर्क दिया कि विमान अधिनियम, 1934 के तहत हादसे की जांच का अधिकार केंद्र सरकार की एजेंसियों को है, न कि उत्तराखंड की स्थानीय पुलिस को। लेकिन अदालत ने यह तर्क खारिज कर दिया और कहा कि स्थानीय पुलिस को अधिकार है, क्योंकि यह मामला आपराधिक लापरवाही से जुड़ा है।

अब आगे क्या?

जमानत याचिका खारिज होने के बाद दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। मामले की जांच अभी जारी है और पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि हादसे से पहले किस स्तर पर नियमों की अनदेखी की गई।

 

 

Saurabh Negi

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