केदारनाथ शटल सेवा बंद होने के बावजूद बीकेटीसी अध्यक्ष को केदारनाथ ले गया हेलीकॉप्टर, क्या उत्तराखंड में हैं दो तरह के कानून ?

उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में एक बार फिर वीआईपी संस्कृति पर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल फ़िलहाल में खराब मौसम के चलते जब डीजीसीए ने केदारनाथ शटल सेवा पर रोक लगी है। जहां आम श्रद्धालुओं और ज़रूरतमंदों को खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर सेवा नहीं मिल पा रही, वहीं बद्री-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी को लेकर एक निजी कंपनी का हेलीकॉप्टर देहरादून से सीधा केदारनाथ पहुँच गया।
इस नियमविरुद्ध उड़ान पर मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के संयोजक लूशुन टोडरिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और मामले की मजिस्ट्रेट जांच की मांग की है। टोडरिया ने कहा कि जब डीजीसीए ने स्पष्ट रूप से केदारनाथ शटल सेवा पर रोक लगा रखी थी, तब यह हेलीकॉप्टर कैसे उड़ा? उन्होंने सवाल किया कि क्या बीकेटीसी अध्यक्ष पर नियम लागू नहीं होते?
उन्होंने यह भी पूछा कि द्विवेदी और उनके साथियों को केदारनाथ में ऐसा कौन-सा आपातकालीन कार्य था, जिसके लिए उन्होंने डीजीसीए और युकाडा के आदेशों की अवहेलना कर उड़ान भर दी? क्या इस उड़ान के लिए किसी सक्षम प्राधिकरण से अनुमति ली गई थी? अगर हाँ, तो वह दस्तावेज़ सार्वजनिक क्यों नहीं किए जा रहे?
टोडरिया ने इस घटना की तुलना राज्य की एक हालिया त्रासदी से की, जिसमें प्रसिद्ध लोकगायक गणेश मर्तोलिया की बहन और नानी को समय पर एयर एंबुलेंस न मिलने के कारण जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा, “जब आम जनता की जान जोखिम में है, तो कुछ खास लोगों को नियमों से ऊपर कैसे रखा जा सकता है? क्या उत्तराखंड में दो तरह के कानून हैं — एक वीआईपी के लिए, दूसरा आम नागरिकों के लिए?”
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच नहीं कराई गई तो वे देहरादून स्थित युकाडा कार्यालय का घेराव करेंगे। टोडरिया ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना होगा कि नियमों का उल्लंघन क्यों और किसके आदेश से किया गया।