खेल विभाग के देहरादून में पवेलियन स्वीमिंग पूल में ताला, कोच न मिलने से खिलाड़ी परेशान

गर्मियों में जहां निजी स्वीमिंग पूल्स लोगों से गुलजार हैं, वहीं देहरादून के पवेलियन मैदान में बना सरकारी स्वीमिंग पूल कोच के अभाव में पूरी तरह बंद पड़ा है। खेल विभाग खिलाड़ियों को तैराकी सिखाने के लिए प्रशिक्षक ही नहीं जुटा पा रहा, जिससे सरकारी पूल बेकार पड़ा है और खिलाड़ी अभ्यास से वंचित हो रहे हैं।
हालत यह है कि लंबे समय से पूल में कोई गतिविधि नहीं हो रही। रखरखाव के अभाव में पूल की हालत खराब हो चुकी है, सुरक्षा उपकरण भी टूटने लगे हैं। इसके अलावा पूल के आसपास गंदगी का अंबार लग चुका है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।
खिलाड़ियों की मांग है कि पूल को तुरंत चालू किया जाए, लेकिन विभाग के नियमों के अनुसार केवल उत्तराखंड के स्थायी निवासियों को कोच की जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुछ बाहर के योग्य कोच आवेदन लेकर आए भी, लेकिन निवास प्रमाणपत्र के अभाव में उन्हें लौटा दिया गया।
खेल विभाग के इस हालात का सीधा फायदा निजी पूल संचालकों को मिल रहा है। शहर में निजी पूल की संख्या बढ़ चुकी है, जहां एक घंटे की तैराकी के लिए लोग 150 से 250 रुपये तक चुका रहे हैं। जबकि सरकारी पूल सुविधाजनक और सस्ता विकल्प था।
सितंबर में पूल सीजन समाप्त होने के कारण भी कुछ कोच अल्पकालिक नौकरी से बच रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि विभागिक उदासीनता और नीतिगत अड़चनों का खामियाजा कब तक खिलाड़ियों को उठाना पड़ेगा?