जानें कैसे मारा गया बगदादी,चेहरे पर था मौत का डर

जानें कैसे मारा गया बगदादी,चेहरे पर था मौत का डर

अमेरिका ने आतंकी संगठन आईएसआईएस के सरगना अबु बकर अल-बगदादी को मार गिराया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने एक प्रेस कांफ्रेंस में रविवार को इसकी पुष्टि की। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि शनिवार रात अमेरिका ने दुनिया के नंबर एक आतंकी को मार गिराया। डेली मेल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के लिए अमेरिका के स्‍पेशल कमांडोज का यह हमला अप्रत्‍याशित था। जानें- कैसे अंजाम दिया गया बगदादी का एनकाउंटर…

सुनसान इलाके में जमाया था डेरा

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना के विशेष कमांडोज ने सीरिया के इदलिब प्रांत के सुदूर गांव बारिशा में शनिवार की रात को बगदादी को उसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया। अमेरिकी सैनिक जब आतंकी सरगना अबू बकर-अल बगदादी की तलाश में अचानक इस सुनसान इलाके में पहुंचे तो लोगों को लगा कि यह आम ऑपरेशन है लेकिन जब अमेरिकी हेलिकॉप्‍टर एक खास मकान के ऊपर मंडराने लगे तो अभास होने लगा कि यह कोई आम ऑपरेशन नहीं है।

70 कुशल डेल्टा कमांडोज ने ऑपरेशन को दिया अंजाम

रिपोर्टों में कहा गया है कि यह पूरा ऑपरेशन ठीक वैसा ही था जैसा की पाकिस्‍तान के ऐबटाबाद में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के खिलाफ चलाया गया था। कहा जाता है कि ऐबटाबाद में ऑपरेशन उस खुफ‍िया सूचना के बाद चलाया गया था कि ‘उक्‍त ठिकाने पर लादेन के मौजूदगी की संभावना सबसे अधिक है।’ अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप के बयान के मुताबिक, सबसे पहले अमेरिकी हेलिकॉप्‍टरों ने बगदादी के ठिकाने को घेर लिया और उसके बाद अमेरिकी सेना के 70 कुशल डेल्टा कमांडोज उतरे।

ऑपरेशन की लाइव स्‍ट्रीमिंग देख रहे थे ट्रंप

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, बिल्‍कुल किसी फ‍िल्‍मी सीन की तरह कुशल अमेरिकी डेल्टा कमांडोज ने उतरने के बाद बगदादी के उस गुफानुमे बंकर को घेरना शुरू किया। अत्‍याधुनिक हथियारों और साजो सामान से लैस कमांडोज के पास प्रशिक्षित कुत्ते और एक रोबोट था। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस पूरे ऑपरेशन को अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप, व्हाइट हाउस में बैठकर लाइव देख रहे थे। यह पूरा ऑपरेशन बेहद जोखिम भरा था। इसमें हर पल यह खतरा था कि कहीं जमीन पर या दरवाजों पर ऑटो‍मेटिक विस्‍फोटक न लगे हों।

मारी गईं दोनों बीवियां

अमेरिकी कमांडोज जब गुफा के दरवाजे पर पहुंचे तो उन्‍होंने उसे खोलने के बजाए गुफा की दीवार को ही उड़ा दिया। गुफा में पहुंचने पर अमेरिकी कमांडोज को बगदादी की दो पत्नियां दिखीं जिन्‍होंने कमर में विस्फोटक बांध रखा था। दोनों खुद को उड़ा पातीं उससे पहले कमांडोज की फायरिंग में वे मारी गईं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन से पहले ही अमेरिकी सेना ने बड़ी संख्या में आईएस के आतंकियों का खात्‍मा किया था। अमेरिकी कमांडोज को निर्देश थे कि बगदादी पकड़ा जाए तो ठीक अन्‍यथा उसे ढेर कर दिया जाए।

मौत के खौफ से भागने लगा था बगदादी

गुफा में अमेरिकी कमांडोज ने अरबी में बगदादी को सरेंडर करने की हिदायत दी, लेकिन वह मौत के डर से जान बचाकर भागने लगा। इस बीच अमेरिकी सैनिकों ने 11 बच्चों को भी बचाया। गुफा में कुछ आइएस आतंकियों ने सिर पर मौत मंडराती देख समर्पण कर दिया। कमांडोज ने अपने प्रशिक्षित कुत्तों के साथ बगदादी का पीछा किया। बगदादी के साथ तीन बच्चे थे, इसलिए कमांडोज ने ट्रेंड कुत्तों को उसके पीछे छोड़ा। बचने की संभावना खत्‍म होता देख आतंकी बगदादी ने धमाका करके तीन बच्‍चों के साथ खुद को उड़ा लिया। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि ‘बगदादी कुत्ते की मौत मारा गया।’

जेरोनेमो से ऑपरेशन जैकपाट तक

अलकायदा सरगना लादेन के खिलाफ जो ऑपरेशन चलाया गया था उसका कोड नेम जेरोनेमो था। ठीक इसी तरह बगदादी के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन का नाम ‘जैकपॉट’ था। अमेरिकी कमांडोज जब मौके पर पहुंचे तो उन्‍होंने उसके शरीर के अंगों का एक छोटी सी फील्ड किट के जरिए डीएनए टेस्ट किया। कमांडोज की ओर से व्‍हाइट हाउस को मैसेज भेजा गया कि ऑपरेशन जैकपाट 100 फीसद पूरा हुआ। इसके बाद समाचार एजेंसियों ने ऑपरेशन के बारे में खबरें चलाईं। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि कुछ बड़ा हुआ है।

आइएस की टूटी कमर, ट्रंप की बल्‍ले-बल्‍ले

इससे पहले बगदादी के मारे जाने की कई रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं। चूंकि इस बार खुद अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने इसकी पुष्टि की है इसलिए माना जा रहा है कि आइएस सरगना का चैप्‍टर क्‍लोज हो गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह खबर आतंकी संगठन आइएस के लिए अब तक का सबसे तगड़ा झटका है। इस ऑपरेशन के बाद सीरिया में स्थिति सुधरेगी और आइएस कमजोर पड़ेगा। यही नहीं इसने डोनाल्ड ट्रंप को रणनीतिक और राजनीतिक अवसर भी उपलब्‍ध कराए हैं। यही नहीं सीरिया में प्रशासन पूरी कोशिश करेगा कि आइएस के दबदबे वाले इलाके उसके अधिकार क्षेत्र में आ जाएं।

मौलवी से बना चरमपंथी

बगदादी का जन्म सन 1971 में बगदाद के उत्तर में स्थित समारा में हुआ था। बीबीसी ने पुरानी रिपोर्टों के हवाले से बताया है कि साल 2003 में जब अमेरिकी सेनाएं इराक में दाखि‍ल हुई थीं तब बगदादी शहर की एक मस्जिद में मौलवी के तौर पर काम करता था। बगदादी का एक अमेरिकी कनेक्‍शन भी है। रिपोर्टों में कहा गया है कि बगदादी ने बक्का में आयोजित एक अमेरिकी शिव‍िर में चार साल बिताए थे। यह वह समय था जब वह एक चरमपंथी बना।

2010 में अल-कायदा नेता से आइएस सरगना तक सफर 

साल 2010 में बगदादी ने सबसे पहले इराक में अल-कायदा के नेता के तौर पर और इस्लामिक स्टेट के नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। इसके बाद वर्ष 2014 में इस्लामिक स्टेट का उभार विलायत अल-फुरात और उसके आसपास के इलाके में शुरू हुआ। विलायत अल-फ़ुरात ईराक और सीरिया की सीमा से घि‍रा हुआ इलाका है। यह इराकी शहर अल-कायम और सीरियाई शहर अल्बु कमाल के बीच में स्थित है। बगदादी इसे इस्लामिक स्टेट की तीसरी राजधानी कहता था।

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