एलटी ग्रेड भर्ती : हाईकोर्ट का आदेश– चयनितों की सूची से न हो छेड़छाड़, योग्य अभ्यर्थियों के लिए बनाई जाए नई मेरिट लिस्ट

एलटी ग्रेड भर्ती : हाईकोर्ट का आदेश– चयनितों की सूची से न हो छेड़छाड़, योग्य अभ्यर्थियों के लिए बनाई जाए नई मेरिट लिस्ट

उत्तराखंड में सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) भर्ती परीक्षा को लेकर उपजे विवाद में हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया है। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित अभ्यर्थियों की सूची में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाए। साथ ही जिन अभ्यर्थियों के उत्तर सही पाए गए हैं, उनकी एक अलग मेरिट सूची बनाकर उन्हें भी नियुक्ति प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाए। यह मामला 1522 एलटी ग्रेड पदों की भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें अभ्यर्थियों ने आयोग पर उत्तर कुंजी में बिना आधार के संशोधन करने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ताओं नवीन सिंह असवाल, दीपिका रमोला, प्रियंका सहित कई अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रारंभिक उत्तर कुंजी में जिन उत्तरों को सही माना गया था, संशोधित कुंजी में वे गलत घोषित कर दिए गए, जिससे उनका चयन प्रभावित हुआ।

हाईकोर्ट ने कहा कि चयनित अभ्यर्थियों को किसी भी स्थिति में परेशान न किया जाए, बल्कि अतिरिक्त योग्य अभ्यर्थियों की एक अलग मेरिट लिस्ट तैयार की जाए और उसके आधार पर रिक्त 192 पदों को भरा जाए। यदि पात्र अभ्यर्थियों की संख्या इन पदों से अधिक है, तो सरकार आवश्यकतानुसार नए पद सृजित कर सकती है।

इसे भी पढ़ें – फर्जी दस्तावेज़ों से 30 साल तक की सरकारी नौकरी, रिटायरमेंट से पहले उजागर हुआ घोटाला

कोर्ट ने नियुक्ति पत्र पर लगी रोक भी हटाई
महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने बताया कि कोर्ट ने आयोग को चयन प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी है। अब चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर कोई रोक नहीं रहेगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि उत्तर कुंजी संशोधन में यदि कोई त्रुटि सामने आती है, तो उन अभ्यर्थियों को न्याय मिलना चाहिए जो वास्तव में परीक्षा में सफल थे लेकिन गलत संशोधन के कारण वंचित रह गए।

कमेटी की रिपोर्ट में आयोग के पक्ष को सही ठहराया
पूर्व में कोर्ट ने इस विवाद की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आयोग द्वारा जारी संशोधित उत्तर कुंजी में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं पाई गई। रिपोर्ट के अनुसार आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित उत्तर तथ्यात्मक रूप से सही थे और उनमें किसी भी तरह का विरोधाभास नहीं मिला।

इसे भी पढ़ें – शिक्षकों की 21 सूत्रीय मांगों पर बनी सहमति, शिक्षा विभाग में बनेगा त्रिस्तरीय कैडर

अभ्यर्थियों की मांग
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आयोग ने आपत्तियों के निस्तारण में पारदर्शिता नहीं बरती। उनके मुताबिक आयोग ने प्रश्नों के उत्तर तय करते समय विषय विशेषज्ञों से ठीक से सलाह नहीं ली, जिससे उत्तर कुंजी में भ्रम की स्थिति बनी। अभ्यर्थियों ने कोर्ट से मांग की कि उन्हें भी न्याय मिले और आयोग द्वारा की गई मनमानी की जांच हो।

अब जबकि कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है, अभ्यर्थी फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस आदेश के बाद उम्मीद की जा रही है कि योग्य लेकिन वंचित अभ्यर्थियों को भी न्याय मिलेगा।

Saurabh Negi

Share