ल्यूमिनेसेंस डेटिंग से प्राचीन भू-वैज्ञानिक घटनाओं की समझ मजबूत, वैज्ञानिकों का निष्कर्ष

वाडिया इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने ल्यूमिनेसेंस डेटिंग तकनीक को प्राचीन भू-वैज्ञानिक घटनाओं को समझने का सशक्त साधन बताया। अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) के प्रो. अशोक सिंघवी ने कहा कि यह तकनीक पृथ्वी के इतिहास, पर्यावरणीय परिवर्तनों और पुरातात्त्विक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण और सटीक जानकारी प्रदान करती है।
कार्यक्रम में प्रो. सिंघवी ने ल्यूमिनेसेंस सिग्नल्स के विकास, विधियों और वैज्ञानिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की। वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. विनीत गेहलोत ने बताया कि इस तकनीक की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि अतीत में बाढ़ और भूकंप जैसी बड़ी घटनाएं कब हुई थीं। इससे भविष्य के जोखिमों के प्रति बेहतर तैयारी संभव हो पाती है।
विशेषज्ञ डॉ. माधव मुरारी और वैज्ञानिक जावेद मलिक ने प्राचीन भूकंपों की पहचान और आपदा प्रबंधन में इस विधि की उपयोगिता पर जोर दिया। तकनीकी सत्र में प्रो. विमल सिंह, डॉ. संदीप पांडा, जयेश मुखर्जी, डॉ. पूनम बहाल, डॉ. महेश बदनाल, अरबाज़ पठान, अक्षय कुमार, डॉ. अतुल सिंह और मोहम्मद शाहरुख समेत कई शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन प्रस्तुत किए। शोध पोस्टरों की एक विशेष गैलरी भी प्रदर्शित की गई।




