मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद, चल-विग्रह डोली गौंडार के लिए रवाना

रुद्रप्रयाग – पंच केदारों के द्वितीय केदार मद्महेश्वर मंदिर को मंगलवार सुबह शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिया गया। मार्शिर्ष कृष्ण चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त और स्वाती नक्षत्र में सुबह 8 बजे कपाट बंद किए गए। मंदिर को ताज़े फूलों से सजाया गया था और 350 से अधिक भक्तों ने इस अंतिम दर्शन में सहभाग किया। बीकेटीसी, वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पूजा में भाग लिया।
कपट बंद होने से पहले सुबह की आरती और विशेष पूजा संपन्न हुई। इसके बाद प्राकृतिक शिवलिंग को परंपरागत विधि के तहत पुष्प और आच्छादन से ढककर समाधि रूप में स्थापित किया गया। इस प्रक्रिया के दौरान बीकेटीसी के सीईओ एवं कार्यपालक दंडाधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, बीकेटीसी सदस्य प्रहलाद पुष्पवान और पंच-गौंडारी हक-हकूकधारियों की उपस्थिति रही।
इसे भी पढ़ें – देहरादून के जड्डो डैम के पास पिकअप 220 मीटर खाई में गिरी, एक की मौत, एक गंभीर घायल
पूजा-विधि पूरी होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल-विग्रह डोली ने मंदिर प्रांगण की परिक्रमा की। ढोल-दमाऊं की धुनों के बीच डोली ने पारंपरिक भंडार निरीक्षण पूरा किया और इसके बाद श्रद्धालुओं के साथ गौंडार के लिए प्रस्थान किया, जहाँ डोली का पहला विश्राम होगा।




