माणा हिमस्खलन के बाद बीआरओ को मजदूरों के लिए सुरक्षित स्थान की तलाश

माणा हिमस्खलन की घटना के बाद माणा-माणा पास हाईवे का चौड़ीकरण कार्य प्रभावित हो गया है। इस परियोजना को वर्ष 2027 के अक्तूबर तक पूरा किया जाना था, लेकिन हिमस्खलन के कारण अब इसकी रफ्तार धीमी पड़ सकती है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने मजदूरों के ठहरने के लिए बदरीनाथ से माणा के बीच सुरक्षित स्थान की तलाश शुरू कर दी है, जहां नए कंटेनर स्थापित किए जाएंगे।
फिलहाल, इस क्षेत्र में दो से तीन फीट तक बर्फ जमी हुई है। बीआरओ का कहना है कि बर्फ पिघलने के बाद सबसे पहले मजदूरों के रहने के लिए कंटेनर स्थापित किए जाएंगे, जिससे कार्य को दोबारा गति मिल सके। बीते दो वर्षों से माणा-माणा पास हाईवे के सुधारीकरण और चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है, जिसे प्राइवेट फर्म को सौंपा गया है।
हिमस्खलन में क्षतिग्रस्त हुए मजदूरों के शेल्टर
हिमस्खलन के दौरान मजदूरों के आठ कंटेनर और एक शेल्टर क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे उनका सुरक्षित आवास प्रभावित हुआ। बीआरओ के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने बताया कि सुरक्षित स्थानों पर मजदूरों के नए कंटेनर स्थापित किए जाएंगे और बर्फ पिघलने के बाद हाईवे चौड़ीकरण का कार्य दोबारा शुरू किया जाएगा।
चार मजदूर अब भी अस्पताल में भर्ती
माणा हिमस्खलन में 54 मजदूर फंस गए थे, जिनमें से 46 को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि आठ की मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल दो मजदूरों को एम्स ऋषिकेश भेजा गया, जबकि 44 मजदूर सेना अस्पताल में भर्ती थे। अब इनमें से 40 को छुट्टी दे दी गई है और शेष चार मजदूर अभी भी इलाजरत हैं। ज्योतिर्मठ के एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ के अनुसार, चिकित्सकों की सलाह के बाद जल्द ही इन्हें घर भेज दिया जाएगा।