मनसा देवी हादसे ने खोली व्यवस्थाओं की पोल? क्या राजाजी पार्क क्षेत्र में अवैध दुकानें थी हादसे की जड़?

मनसा देवी हादसे ने खोली व्यवस्थाओं की पोल? क्या राजाजी पार्क क्षेत्र में अवैध दुकानें थी हादसे की जड़?

हरिद्वार, 27 जुलाई – हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर के पैदल मार्ग पर कल रविवार सुबह करंट की अफवाह (पुलिस के अनुसार) से भगदड़ मच गई, हालाँकि श्रद्धालुओं का कहना है कि भीड़ बढ़ने पर दबाव बढ़ा जिसके चलते लोग तर पकड़ कर ऊपर चढ़ने लगे। भगदड़ में आठ श्रद्धालुओं की मौत और 30 से अधिक लोगों के घायल होने की घटना ने न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही उजागर कर दी, बल्कि यह भी सामने लाया कि किस तरह वर्षों से राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में नियमों की अनदेखी कर अवैध व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं।

राजाजी टाइगर रिजर्व की जमीन पर कैसे बस गई दुकानें?
मनसा देवी मंदिर तक पहुंचने वाले दोनों मार्ग – मुख्य बाजार और ब्रह्मपुरी – राजाजी टाइगर रिजर्व के अधीन आते हैं, जहां किसी भी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधि प्रतिबंधित है। इसके बावजूद, इन रास्तों पर सैकड़ों की संख्या में अस्थायी दुकानें – प्रसाद, खिलौने, चाय-नाश्ते और फूलों की – बिना किसी वैध अनुमति के वर्षों से चल रही हैं। इन दुकानों ने मंदिर मार्ग को इतना संकीर्ण बना दिया है कि आपातकालीन स्थिति में निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता। प्रशासन का दावा है कि पार्क क्षेत्र में नियमित गश्त होती है, लेकिन इतने बड़े अतिक्रमण पर न तो रोक लगी, न कोई कार्रवाई हुई। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इन दुकानों के एवज में हर महीने “मोटी रकम” संबंधित विभागों तक पहुंचती है, इसीलिए आंखें मूंदी जाती हैं।

हादसे के बाद छिपाए गए सबूत
हादसे के बाद जब प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं तो बिजली का वह तार, जिससे करंट लगने की अफवाह फैली, भी “गायब” था। वहीं कई दुकानदार अपने सामान समेत भाग गए और कुछ ने पीछे जाकर अपने माल को प्लास्टिक के बोरों में छिपा दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि घटना के बाद प्रमाण मिटाने की कोशिश की गई। सीढ़ी मार्ग पर बनीं इन दुकानों ने रास्ता इतना संकरा कर दिया है कि भगदड़ की स्थिति में श्रद्धालु उनमें ही फंस गए। चश्मदीदों ने बताया कि अफवाह फैलने के बाद ऊपर से नीचे की ओर धक्का-मुक्की शुरू हुई, जिससे कई लोग कुचले गए। दिल्ली से आए कुलदीप ने बताया कि उन्होंने चार शव मौके पर देखे और फिर उन्हें कुछ याद नहीं रहा।

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हादसे के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं दिख रही। मंदिर में दर्शन को आ रहे लोगों की भीड़ आज भी उमड़ रही है। प्रशासन ने हालांकि मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है, लेकिन अब तक अवैध दुकानों को हटाने की कोई प्रभावी कार्यवाही नजर नहीं आई।

गंभीर सवाल यह भी है कि मंदिर ट्रस्ट और स्थानीय प्रशासन ने इतने वर्षों तक इन अतिक्रमणों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की। अगर इन दुकानों को समय रहते हटाया गया होता या वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई होती, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।

Saurabh Negi

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