ट्राउट फार्मिंग से हर साल करोड़ों की कमाई संभव, 3 करोड़ मछुआरों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की तैयारी

केंद्रीय शीतल जल मत्स्य अनुसंधान केंद्र, भीमताल में आयोजित विशेष कार्यक्रम में भारत सरकार के मत्स्य सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे मत्स्य पालन में आधुनिक तकनीकों पर केंद्रित अनुसंधान को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)” के माध्यम से देश को मत्स्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है।
डॉ. लिखी ने कहा कि देश में करीब तीन करोड़ लोग मत्स्य पालन से जुड़े हैं और अब तक 25 लाख मछुआरे नेशनल फिशरीज डिजिटल पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराएं ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके। उन्होंने ट्राउट मछली को ‘सुपरफूड’ बताते हुए इसे पहाड़ी क्षेत्रों के लिए आर्थिक बदलाव का बड़ा जरिया बताया।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने ऑर्नामेंटल फिश यूनिट, रेनबो ट्राउट एक्वाकल्चर सिस्टम जैसी उन्नत इकाइयों का दौरा किया और कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में कोल्ड वॉटर फिशरीज के लिए अपार संभावनाएं हैं। केंद्र के वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ बैठक में सचिव ने अनुसंधान को व्यावहारिक बनाकर मछुआरों को सीधा लाभ देने की रणनीति पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम में निदेशक डॉ. अमित पांडे ने अनुसंधान केंद्र की प्रगति और उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने संस्थान के विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता का मुद्दा भी सचिव के समक्ष रखा।
कार्यक्रम में सचिव सहकारिता/पशुपालन/मत्स्य एवं दुग्ध विकास बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, सीडीओ अनामिका, उपनिदेशक डॉ. अल्पना हलदर, जिला विकास अधिकारी गोपाल गिरी, जिला मत्स्य अधिकारी शिखा आर्या सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिक और मत्स्य पालक उपस्थित रहे। देशभर के कई वैज्ञानिक और किसान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े।