मोहन भागवत के बयान का मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं ने किया स्वागत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा मंदिर-मस्जिद विवादों पर व्यक्त की गई चिंता को मुस्लिम धर्मगुरुओं और नेताओं ने सकारात्मक बताया है। भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि कुछ लोग हिंदुओं का नेता बनने के लिए ऐसे विवाद खड़े कर रहे हैं, जिससे देश की एकता प्रभावित हो रही है।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव यासूब अब्बास ने इस बयान का स्वागत करते हुए कहा कि हर धार्मिक स्थल के नीचे मंदिर या मस्जिद तलाशना देश की एकता के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें हिंदू और मुस्लिम समुदायों को उकसाने का काम कर रही हैं, जिससे माहौल खराब हो रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि ऐसे लोग, जो हर धार्मिक स्थल के नीचे दूसरे धर्म का ढांचा ढूंढते हैं, असामाजिक तत्व हैं। उन्होंने भागवत के बयान को देश की अखंडता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
मुस्लिम धर्मगुरु कल्बे सिब्ते नूरी ने इसे सकारात्मक बयान बताते हुए कहा कि भारत की विश्वगुरु बनने की राह में 18-20 करोड़ मुसलमानों को अलग करना संभव नहीं है। उन्होंने भाजपा नेताओं से अपील की कि वे इस संदेश को आगे बढ़ाएं और देश का माहौल खराब करने वालों पर रोक लगाएं।
समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा चौधरी और अफजाल अंसारी ने भी इस बयान का समर्थन किया। इकरा ने इसे देर से आया, लेकिन दुरुस्त कदम बताया। वहीं, अफजाल अंसारी ने कहा कि कुछ नेता सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं।
सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने सरकार से ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की, जो इस तरह के विवाद पैदा कर रहे हैं।