देहरादून में गैर-जिम्मेदाराना निर्माण पर सवाल, मोहित डिमरी ने जताई चिंता

देहरादून – सहस्रधारा और आसपास के क्षेत्रों में आपदा से हुई तबाही के बीच अब गैर-जिम्मेदाराना निर्माण कार्यों पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। मूल निवास एवं भू कानून समन्वय समिति के पूर्व अध्यक्ष और स्वाभिमान मोर्चा के मोहित डिमरी ने आईटी पार्क में बने सिक्का हाउसिंग सोसाइटी प्रोजेक्ट पर कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि जिस गधेरे के किनारे यह हाउसिंग सोसाइटी बनाई गई है, वहां इस तरह का निर्माण न सिर्फ नियमों के खिलाफ है, बल्कि भविष्य में बड़े खतरे की आहट भी है।
मोहित डिमरी ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि नदी-नालों और गधेरों के पास निर्माण कार्य करना सीधे तौर पर आपदा को न्योता देना है। उन्होंने सवाल उठाया कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की नाक के नीचे इस तरह की कॉलोनियां कैसे खड़ी हो रही हैं। “आज नहीं तो कल, इनका खामियाजा आम जनता और सरकार दोनों को भुगतना पड़ेगा, जिसके नजारे हम धराली, थराली, सहस्रधारा और मालदेवता जैसी जगहों की आपदाओं में पहले ही देख चुके हैं,” उन्होंने कहा।
उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि हाईकोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाए, जिसके तहत नदी-नालों और गधेरों से कम से कम 200 मीटर दूरी पर ही निर्माण की अनुमति हो। डिमरी ने कहा कि अगर इस आदेश का पालन नहीं हुआ तो आपदाओं का सिलसिला और तेज होगा और उत्तराखंड को बार-बार पीछे धकेलेगा।
डिमरी ने स्पष्ट कहा कि विकास के नाम पर नदी किनारों और रिवरबेड पर हो रहा अवैध निर्माण आपदाओं को और भयावह बना देगा। सरकार को चाहिए कि वह जिम्मेदारी से कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में इस तरह की मानवीय भूलों से राज्य और उसके लोगों को बचाया जा सके।
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बिंदाल नदी पर बसी कॉलोनियों पर भी सवाल
बिंदाल पुल के नीचे बनी कॉलोनी का भी इसका एक उदाहरण है। सरकार ने इस कॉलोनी में रहने वालों को वहां बने रहने की अनुमति कुछ समय के लिए बढ़ा दी थी। “आज उसी बिंदल नदी में इतना पानी है कि वह पूरी कॉलोनी को बहा सकती है, क्योंकि यह कॉलोनी पूरी तरह नदी के ऊपर बसी है।



