100 से अधिक विद्यालयों के पास नहीं है अपना भवन, बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे स्कूल

100 से अधिक विद्यालयों के पास नहीं है अपना भवन, बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे स्कूल

उत्तराखंड में शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के दावों के बीच गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के सौ से अधिक विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है। देहरादून के चकराता ब्लॉक में प्राथमिक विद्यालय में इंटर कॉलेज चल रहा है। पिछले तीन महीने से यह स्थिति बनी है। इसके अलावा कुछ अन्य विद्यालयों का भी यही हाल है। राजकीय इंटर कालेज खरोड़ा स्कूल भवन के पीछे पहाड़ी से नौ व 10 जुलाई 2023 को मलबा आ गया था। जिसके बाद से, स्कूल पास के प्राथमिक विद्यालय में चल रहा है। प्राथमिक विद्यालय में जगह कम होने से एक ही कमरे में दो से तीन कक्षाएं चल रही हैं। कमरे के बीच में आलमारी लगाकर अलग-अलग कक्षाएं बनाई गई हैं। जबकि प्राथमिक विद्यालय की एक से पांचवीं तक की कक्षाओं को इसी स्कूल के एक कमरे में चलाया जा रहा है
स्कूल की प्रधानाध्यापिका राधा डोभाल बताती हैं कि मुख्य शिक्षा अधिकारी ने प्राथमिक विद्यालय को आंगनबाड़ी केंद्र में शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र सड़क के नजदीक है। वहां पहले से जगह कम है। ऐसे में हादसे के खतरे को देखते हुए स्कूल को एक कमरे में चलाया जा रहा है।

राज्य के कुछ अन्य विद्यालयों के पास भी अपना भवन न होने से उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र या फिर अन्य भवनों में चलाया जा रहा है। इसमें सबसे खराब स्थिति प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल की है। 96 प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल के पास अपना विद्यालय भवन नहीं है। जबकि 16 माध्यमिक विद्यालय भी बिना भवन के हैं। प्राथमिक विद्यालयों के संबंध में विभाग के निदेशक रामकृष्ण उनियाल का मोबाइल बंद होने से उनसे प्रयास के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया।

 

बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे स्कूल

प्रदेश के तमाम विद्यालयों के छात्र बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। यह हाल तब है जबकि विभाग की ओर से स्मार्ट क्लास के दावे किए जा रहे हैं। वही विद्यालयों में गुणवत्तापरक शिक्षा के नाम पर हर साल आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। कई विद्यालयों में बालिका शौचालय, पेयजल, बिजली, प्रयोगशाला और खेल मैदान नहीं है।

बिना भवन वाले अधिकतर स्कूल वन क्षेत्र में हैं, रिजर्व क्षेत्र होने की वजह से यहां पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता। इसके अलावा कुछ स्कूल आपदा में क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन विद्यालयों के लिए सुरक्षित स्थान पर जगह की तलाश की जा रही है। जल्द ही स्कूल भवनों का निर्माण किया जाएगा।
– बंशीधर तिवारी शिक्षा महानिदेशक

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