मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की रफ्तार थमी, 250 में से केवल 60 मेगावाट क्षमता हासिल

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की रफ्तार थमी, 250 में से केवल 60 मेगावाट क्षमता हासिल

उत्तराखंड में सौर ऊर्जा और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। योजना के तहत तीन साल में 250 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य था, लेकिन दो साल बीतने के बाद भी मुश्किल से 60 मेगावाट क्षमता स्थापित हो पाई है।
योजना का आवेदन कोटा महीनों पहले पूरा हो गया था। ऊर्जा निगम की फिजिबिलिटी रिपोर्ट और उरेड़ा की स्वीकृति के बाद भी कई आवंटी संयंत्र लगाने में सुस्त पड़ गए। नतीजतन, न तो पुराने अधूरे आवंटन रद्द हुए और न ही नए इच्छुक आवेदकों को मौका मिला। यह स्थिति योजना की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली दोनों पर सवाल खड़े करती है।

रिपोर्टों से पता चला है कि पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) की संख्या बेहद कम है। कमीशनिंग की प्रक्रिया और संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट की गति भी धीमी है। कई जिलों से रिपोर्ट समय पर मुख्यालय तक नहीं पहुंच रही, जबकि स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि इन्हें ईमेल से नियमित भेजा जाए।

मुख्यालय ने आदेश दिया है कि जो लाभार्थी संयंत्र स्थापना में गंभीर नहीं हैं, उनके आवंटन जनपद स्तरीय समिति की मंजूरी से तुरंत निरस्त किए जाएं। यह क्षमता नए इच्छुक और सक्रिय लाभार्थियों को दी जाएगी। उरेड़ा के डिप्टी मुख्य परियोजना अधिकारी अखिलेश शर्मा का कहना है कि अब तक 60 मेगावाट से अधिक क्षमता स्थापित हो चुकी है और योजना 31 मार्च 2026 तक अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएगी। फिलहाल नए आवेदन बंद हैं और पुराने आवेदनों की समीक्षा की जा रही है।

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इसी बीच, पीएम सूर्य घर योजना में भी नीति बदलाव से भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पहले केंद्र और राज्य, दोनों की ओर से सब्सिडी दी जाती थी, लेकिन अब राज्य की सब्सिडी 31 मार्च 2025 तक सीमित कर दी गई है। इस तारीख के बाद केवल केंद्र सरकार की ओर से ही लाभ मिलेगा। इसके बावजूद, कई आवेदक अभी भी पुरानी शर्तों के आधार पर योजना में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे सूचना और जागरूकता तंत्र पर भी सवाल उठते हैं।

Saurabh Negi

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