हरेला पर्व पर चमोली में “मुन्दोली राइडर्स क्लब” के साथ गांव वालो ने मिलकर लगाये पौधे

चमोली जनपद के देवाल ब्लॉक स्थित सुरम्य गांव मुन्दोली में हरेला पर्व के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी का एक अद्वितीय उदाहरण देखने को मिला। मुन्दोली राइडर्स क्लब की अगुवाई में स्थानीय ग्रामीणों, स्कूली छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर 501 पौधे रोपित कर इस पर्व को प्रकृति को समर्पित किया। यह वृक्षारोपण कार्यक्रम ना केवल पारंपरिक उल्लास का हिस्सा था, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम भी था। कार्यक्रम में देवदार, ओक, बुरांश जैसे स्थानीय प्रजातियों के साथ-साथ फलदार और औषधीय पौधों का रोपण किया गया, जो पहाड़ी पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत उपयोगी माने जाते हैं।
इस अभियान में मुन्दोली राइडर्स क्लब की केंद्रीय भूमिका रही, जिसकी स्थापना कलम सिंह बिष्ट ने की है। क्लब के सदस्यों ने पौधों की व्यवस्था से लेकर जागरूकता अभियान और आयोजन प्रबंधन तक हर स्तर पर सक्रिय योगदान दिया। कलम सिंह बिष्ट ने कहा, “हरेला केवल एक पर्व नहीं, यह प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने और जिम्मेदारी निभाने का अवसर है।” कार्यक्रम में ग्रामीणों की व्यापक भागीदारी देखने को मिली। वन पंचायत सरपंच पूरन सिंह बिष्ट, पूर्व सैनिक रघुवीर सिंह और आनंद सिंह बिष्ट (प्रधान) समेत कई समाजसेवी, महिलाएं और स्कूली छात्र-छात्राएं इस अभियान का हिस्सा बने। हिमालयन फल संरक्षण सहकारी समिति लि0 के संस्थापक बलवीर दानू ने भी पौध वितरण में सहयोग दिया। बच्चों ने अपने छोटे हाथों से पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का वास्तविक अर्थ सीखा। यह कार्यक्रम हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास है। वृक्षारोपण से न केवल भूस्खलन, मृदा क्षरण और जल संकट जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी, बल्कि यह वन्यजीवों के लिए आवास और जैव विविधता को भी बढ़ावा देगा।
भविष्य की ओर एक कदम:
इस सफल अभियान के बाद, मुन्दोली राइडर्स क्लब और ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि वे इन पौधों की नियमित रूप से देखभाल करेंगे और भविष्य में भी ऐसे ही पर्यावरणीय कार्यक्रमों का आयोजन करते रहेंगे। यह वृक्षारोपण केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसका लक्ष्य मुन्दोली और उसके आसपास के क्षेत्र को एक पर्यावरणीय मॉडल के रूप में विकसित करना है। हरेला पर्व पर रोपे गए ये 501 पौधे सिर्फ वृक्ष नहीं, बल्कि एक स्वस्थ, समृद्ध और स्थायी भविष्य की आशा हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति की अमूल्य विरासत का महत्व सिखाएंगे।