गांव से ग्लोरी तक: उत्तराखंड के मुन्दोली राइडर्स क्लब ने महाराष्ट में स्वर्णिम दौड़ से रचा इतिहास

चमोली/देहरादून, 16 जून – “सपने वही नहीं जो नींद में आएं, बल्कि वो हैं जो नींद उड़ा दें”—इस कथन को उत्तराखंड के चमोली जिले के मुन्दोली राइडर्स क्लब ने साकार कर दिखाया है। महाराष्ट्र की कठिनतम मावला घाटी में आयोजित इंटरनेशनल माउंटेन अल्ट्रा ट्रेल रन में इस ग्रामीण क्लब ने चार स्वर्ण पदक जीतकर न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश को गौरवांवित कर दिया। तीन दिवसीय इस ट्रेल रन में जहां भारत के विभिन्न राज्यों और दुनिया भर के एथलीट्स ने भाग लिया, वहीं पहाड़ के इस छोटे से गांव के साधारण से दिखने वाले धावकों (रनर्स) ने असाधारण इतिहास लिख दिया।
गुरु, गुरुमाता और शिष्यों की स्वर्णिम उड़ान –
- कलम सिंह बिष्ट (संस्थापक, मुन्दोली राइडर्स क्लब): 100 मील (161 किमी) की दौड़, ऊंचाई, थकान, मौसम—सब कुछ पीछे छूट गया जब गुरु ने लगभग 34 घंटे में ट्रैक पार करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। यह दौड़ केवल दौड़ नहीं थी, बल्कि अनुशासन और आत्मबल का परिचायक थी।
- पुष्पा देवी (गुरुमाता):
महिला शक्ति का प्रतीक बनकर उभरीं पुष्पा देवी ने 10 किमी माउंटेन ट्रेल रन में स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिया कि उम्र, जिम्मेदारियां और सीमाएं केवल मानसिक रुकावटें हैं। उन्होंने अपने गांव की महिलाओं को नयी दिशा दी है। - अंजू (शिष्या):
केवल 2.6 महीने की ट्रेनिंग और पहली ही राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 50 किमी की दौड़ में गोल्ड। ये कहानी किसी स्क्रिप्ट की नहीं, हकीकत की है। - ऋषभ मेघवाल (शिष्य):
75 किमी की दौड़ में जब बाकी धावक थक कर पीछे छूट गए, तब ऋषभ ने लगातार मेहनत और विश्वास के दम पर अपनी रफ्तार बनाई रखी और स्वर्ण पदक जीतकर यह दिखाया कि सच्चा खिलाड़ी वही है जो अंत तक लड़ता है।
गांव की मिट्टी से निकला प्रेरणा का बीज
कलम सिंह बिष्ट ने अपनी जीत को मुन्दोली गांव और अपने 300 से अधिक शिष्यों को समर्पित करते हुए कहा, “हम गांव के लोग हैं, पर हमारे सपने अंतरराष्ट्रीय हैं। ये पदक बताता है कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई पहाड़ बड़ा नहीं। उनकी ये बात सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि उन युवाओं की उम्मीद है जो सीमित संसाधनों में भी खुद को बड़ा साबित करना चाहते हैं।
मावला घाटी: जहां पसीना इतिहास बनाता है
मावला घाटी का ट्रैक सिर्फ दौड़ नहीं, एक मानसिक और शारीरिक अग्निपरीक्षा है। 161 किलोमीटर की यह रेस के ऊंचाई, ढलान, मौसम की मार और थकावट—ये ट्रेल उन धावकों को चुनती है जो खुद को हर रोज चुनौती देना जानते हैं।
उत्तराखंड है भारत का अगला माउंटेन रनिंग हब – कलम सिंह बिष्ट
इस ऐतिहासिक जीत के साथ उत्तराखंड ने माउंटेन रनिंग में राष्ट्रीय पहचान बना ली है। मुन्दोली राइडर्स क्लब ने बता दिया कि टैलेंट शहरों तक सीमित नहीं है। असली खेल गांवों में पलता है, जहां संसाधन नहीं, सिर्फ जुनून होता है।
यह कहानी किसी विज्ञापन की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि संघर्ष, समर्पण और साहस की असली मिसाल है। अगर आप भी सोचते हैं कि “मुझसे नहीं होगा”, तो एक बार मुन्दोली राइडर्स क्लब की कहानी पढ़ लीजिए। शायद अगली दौड़ आपकी हो।