मुन्दोली राइडर्स क्लब ने शुरू किया गीता अध्ययन, गांव से उठी संस्कार और शिक्षा की अलख

उत्तराखंड के चमोली के सीमांत गांव मुन्दोली में आज से एक नई सांस्कृतिक और शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत हुई। मुन्दोली राइडर्स क्लब ने श्रीमद्भगवद्गीता के अध्ययन का क्रमिक कार्यक्रम शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य है—गांव के युवाओं को धर्म, शिक्षा और आत्मरक्षा से जोड़ते हुए उनके चरित्र, आत्मबल और नैतिक सोच को मजबूत करना। इस कार्यक्रम की अध्यापक कोई बाहरी विद्वान नहीं, बल्कि क्लब की होनहार छात्रा अंशु देवी हैं, जो न केवल गीता का अध्ययन करती हैं, बल्कि सरल भाषा में उसके गूढ़ अर्थ भी बच्चों को समझाती हैं। उनका अनुशासित और प्रेरक जीवन छात्रों को नई दिशा देने वाला बन रहा है।
शास्त्र, शस्त्र और खेल का समन्वय
मुन्दोली राइडर्स क्लब के संस्थापक श्री कलम सिंह बिष्ट — पूर्व सैनिक, स्वर्ण पदक विजेता, पर्वतारोही और सामाजिक कार्यकर्ता — का मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उनका सूत्र वाक्य है:
शास्त्रों से संस्कार, शस्त्रों से आत्मरक्षा और खेलों से शरीर का विकास।
इसी विचारधारा पर क्लब की गतिविधियाँ आधारित हैं — जहां एक ओर गीता अध्ययन है, वहीं दूसरी ओर आत्मरक्षा और प्रतिस्पर्धात्मक खेलों का अभ्यास भी कराया जाता है।
गीता: आचार, विचार और आत्मबल का स्रोत
क्लब की नियमित गीता कक्षा में छात्र न केवल श्लोक पढ़ते हैं, बल्कि उसके अर्थ को समझकर जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। ध्यान, प्रार्थना, नैतिक चर्चा और प्रेरक कहानियाँ इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं। इसका सीधा प्रभाव छात्रों के व्यवहार, अनुशासन और सोच पर देखने को मिल रहा है।
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स्थानीय ग्रामवासी, शिक्षक, अभिभावक और सामाजिक संस्थाएं इस प्रयास में साथ आ रही हैं। आगे क्लब की योजना है — रामायण, उपनिषद और प्रेरक ऐतिहासिक प्रसंगों का अध्ययन जोड़ना, धार्मिक स्थलों की यात्राएं कराना और योग-शिविर आयोजित करना।
मुन्दोली जैसे सुदूर गांव से शुरू हुई यह पहल अब चमोली जिले के अन्य गांवों तक पहुँचने का लक्ष्य रखती है। श्री बिष्ट का विश्वास है कि अगर एक भी बच्चा गीता से प्रेरित हो जाए, तो पूरा समाज बदल सकता है।