देहरादून,  शहर के वार्डों में 20-20 लाख के विकास कार्यों के बदले पार्षदों ने 40-45 लाख के कार्यों के प्रस्ताव दे डाले। यह देखकर निगम अफसर भी चकरा गए और एक भी वार्ड में विकास कार्य का एस्टीमेट नहीं बनाया। जब पार्षदों ने कार्यों में देरी पर एतराज जताया तो निगम अफसरों ने हाथ खड़े कर दिए।

इस पर महापौर सुनील उनियाल गामा को मामले में दखल देकर सभी पार्षदों की बैठक बुलानी पड़ी। महापौर ने पार्षदों को निर्धारित बजट के अनुसार केवल जरूरी कार्यों के प्रस्ताव देने के निर्देश दिए।

नगर निगम की जून में हुई बोर्ड बैठक में हर वार्ड में 20-20 लाख रुपये के विकास कार्य कराने का प्रस्ताव पारित हुआ था। ये बजट भी निगम को विभिन्न मदों से सरकार से उपलब्ध हो गया। सभी पार्षदों को अपने वार्ड के जरूरी कार्यों के प्रस्ताव नगर निगम में जमा कराने को कहा गया था ताकि टेंडर के बाद काम शुरू कराए जा सकें।

इस पर पार्षदों की लालसा भारी पड़ गई। स्थिति यह हुई कि आधे से ज्यादा पार्षदों ने 30 लाख से 45 लाख तक के प्रस्ताव थमा दिए। जब निगम अधिकारियों ने ऐसा करने से मना किया तो पार्षद नाराजती जताने लगे और विकास कार्य में रोड़ा अटकाने तक के आरोप लगा दिए।

अंत में अधिकारियों द्वारा महापौर की शरण ली गई और महापौर की ओर से बैठक बुलाकर इसका हल निकाला गया। महापौर ने एक हफ्ते में सभी पार्षदों को संशोधित प्रस्ताव निगम में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। महापौर ने चेतावनी दी कि किसी का भी प्रस्ताव तय सीमा 20 लाख से ऊपर न हो।

हर वार्ड को फॉगिंग मशीन व ठेली

महापौर ने वार्डों में गठित हुई मोहल्ला स्वच्छता समितियों के लिए हर वार्ड को दो-दो रिक्शा व ठेली देने के निर्देश दिए। डेंगू के प्रकोप को देखते हुए हर वार्ड को एक-एक फॉगिंग मशीन देने को भी कहा गया। इसी के साथ महापौर ने पार्षदों को स्वच्छता समितियों के बैंक खाते निगम में उपलब्ध कराने को भी कहा, ताकि उनका बजट जारी किया जा सके।