पंचायत चुनाव के बीच में जल श्रोतों की बहाली को पहुंचेगी वैज्ञानिकों की टीम

पंचायत चुनाव के बीच में जल श्रोतों की बहाली को पहुंचेगी वैज्ञानिकों की टीम

जहां एक ओर नैनीताल जिले में पंचायत चुनाव की हलचल तेज़ है, वहीं दूसरी ओर जिले के ओखलकांडा, भीमताल, हल्द्वानी और कोटाबाग ब्लॉकों के 31 गांवों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। इन गांवों में श्रोतों और गधेरों से बनी पेयजल योजनाएं अब भरोसेमंद नहीं रह गई हैं। थर्ड पार्टी टीम के हालिया सर्वे में यह बात सामने आई है।

इन योजनाओं की खामियों के पीछे जल जीवन मिशन के तहत इंजीनियरों की अधूरी प्लानिंग को मुख्य कारण माना जा रहा है। कई गांवों में जंगल और पहाड़ी क्षेत्रों के पास बसे लोग वर्षों से श्रोतों और गधेरों के पानी पर निर्भर हैं। बावजूद इसके, बिना स्थायित्व की जांच के उन पर पेयजल योजनाएं बना दी गईं।

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अब स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्टेट वाटर एंड सेनिटेशन मिशन (SWSM) और स्प्रिंग एंड रिवर रीजुवेनेशन अथॉरिटी (सारा) ने हस्तक्षेप किया है। इन श्रोतों की बहाली के लिए चेकडैम, रिस्टोरेशन टैंक, और गधेरों की सफाई जैसे कार्यों की योजना तैयार की जा रही है।

इस संबंध में पूर्व में SWSM और रुड़की स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (NIH) के वैज्ञानिक डॉ. राजेश सिंह के साथ ऑनलाइन बैठक हो चुकी है। जल्द ही वैज्ञानिकों की एक टीम इन 31 गांवों का मैदान स्तर पर सर्वेक्षण करेगी। वे पेयजल विभाग के अभियंताओं को यह भी बताएंगे कि श्रोतों के पास रिचार्ज पिट और रिस्टोरेशन टैंक कैसे विकसित किए जाएं ताकि जल स्रोतों को लंबे समय तक जीवित रखा जा सके।

गौरतलब है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत बनाई जा रही पेयजल योजनाओं को कम से कम 30 वर्षों तक स्थायी रूप से संचालित करने का लक्ष्य है। ऐसे में जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जीवन अति आवश्यक हो गया है।:

Saurabh Negi

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