नेशनल साइक्लिंग कॉन्क्लेव देहरादून में आयोजित, ग्रीन मोबिलिटी को मिला नया मंच

नेशनल साइक्लिंग कॉन्क्लेव देहरादून में आयोजित, ग्रीन मोबिलिटी को मिला नया मंच

देहरादून, 3 अगस्त – हरी-भरी वादियों के बीच बसे देहरादून ने आज एक ऐतिहासिक पहल को आवाज दी है पहाड़ी पेडलर्स साइक्लिंग ग्रुप और देहरादून के साइकिलिस्टों के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय साइक्लिंग कॉन्क्लेव 2025 न केवल एक आयोजन था, बल्कि यह संदेश देने वाली पहल है कि भारत में साइक्लिंग सिर्फ फिटनेस का साधन नहीं, बल्कि प्रदूषण से लड़ाई, ट्रैफिक जाम से निजात और स्वस्थ समाज की दिशा में सबसे सशक्त कदम हो सकती है। यह कॉन्क्लेव सुबह से ही साइक्लिंग प्रेमियों, नीति-निर्माताओं, शहरी विकास विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों की उपस्थिति से गुलजार रहा। होटल Effotel by Sayaji, जीएमएस रोड में आयोजित यह कार्यक्रम देशभर से आए प्रतिभागियों के लिए न केवल विचारों का आदान प्रदान किया, बल्कि एक साझा मिशन का संकल्प भी लिया।

सुबह 8:30 बजे से शुरू हुए इस भव्य आयोजन का उद्घाटन पहाड़ी पेडलर्स ग्रुप के संस्थापक और आयोजकों ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “हम चाहते हैं कि साइक्लिंग को केवल एक खेल के रूप में नहीं, बल्कि जीवनशैली के हिस्से के रूप में देखा जाए। आज जिस तरह प्रदूषण, ट्रैफिक और हेल्थ इश्यूज हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं, साइक्लिंग उन सभी समस्याओं का सबसे सरल और असरदार समाधान है।” इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य स्पष्ट था – लोगों को पैडल पावर से जोड़ना और सरकार व नीति-निर्माताओं को यह संदेश देना कि भारत के शहरों को साइकिल-फ्रेंडली बनाना अब विलासिता नहीं, बल्कि आवश्यकता है।

दुनिया का अनुभव, भारत के लिए सीख

जब भारत के शहरों में ट्रैफिक जाम और प्रदूषण नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं, तब यूरोप के कुछ देश साइक्लिंग के सहारे न सिर्फ इन चुनौतियों से उबर चुके हैं, बल्कि सस्टेनेबल लाइफस्टाइल का नया मॉडल पेश कर रहे हैं। नीदरलैंड्स का उदाहरण सबसे बड़ा है, जहां हर नागरिक औसतन 15 किलोमीटर प्रतिदिन साइक्लिंग करता है। वहां की सड़कों पर आपको साइकिल के लिए अलग ट्रैक, सिग्नल और सुरक्षित पार्किंग मिलती है। डेनमार्क में 40% से अधिक लोग साइकिल से ऑफिस जाते हैं। इन देशों ने यह साबित किया है कि सही नीतियां और मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसे लोगों की आदतें बदल सकते हैं। भारत में स्थिति अलग है। देश के 10 बड़े शहरों में कारों की संख्या पिछले दस सालों में 300% बढ़ी है, जबकि साइक्लिंग लेन का विकास लगभग नगण्य है। ऐसे में इस कॉन्क्लेव का संदेश बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।

कॉन्क्लेव का सबसे अहम हिस्सा रहा पैनल डिस्कशन – “भारत में साइक्लिंग का भविष्य: चुनौतियां और अवसर”। इसमें प्रमुख विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें शहरी विकास, पर्यावरण, खेल और ट्रांसपोर्ट पॉलिसी से जुड़े दिग्गज थे।

इतिहासकार लोकेश ओहरी ने कहा, “हमारे शहरों में प्लान साइक्लिंगल लेन नहीं है। फुटपाथ तक सुरक्षित नहीं हैं, तो साइकिल लेन की बात करना कई बार अव्यावहारिक लगता है। लेकिन हमें यह सोच बदलनी होगी। हर नए रोड प्रोजेक्ट में साइक्लिंग लेन को अनिवार्य करना ही होगा।” ,“साइक्लिंग को खेल के साथ-साथ रोजमर्रा की आदत बनाना होगा। इसके लिए स्कूलों में ‘साइकिल टू स्कूल’ साइकिल टू वर्क ’ अपने व्यव्हार में लाने की जरुरत है”

अनूप नौटियाल, पर्यावरण वैज्ञानिक, ने आंकड़ों के साथ बताया कि “भारत में प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या पिछले साल 14 लाख रही। अगर 10% लोग भी मोटर व्हीकल से साइकिल पर शिफ्ट कर लें, तो यह संख्या लाखों में कम हो सकती है।”

हिमांचल प्रदेश के अमरिंदर ने कहा अगर हम परिवर्तन की बात करते हैं हमें परिवर्तन स्वयं में करने की जरुरत है , जब जब साइकिल ज्यादा से ज्यादा चलेगी तभी डिमांड भी बढ़ेगी और लोग साइकिल के प्रति वातावरण की मांग करेंगे

नॉएडा से आये ने कहा प्रदीप नैथानी “अगर कॉर्पोरेट कंपनियां कर्मचारियों के लिए ‘Cycle to Work Policy’ लागू करें और इसके बदले टैक्स बेनिफिट्स मिले, तो लोग बड़ी संख्या में कार छोड़कर साइकिल पर आ जाएंगे।”

प्रसिद्द आउटडोर ट्रेनर अजय कंडारी ने पॉवरपॉइंट के माध्यम से देहरादून शहर में हो रहे बदलाव के बारे बताया और प्रशाशन अभी तक क्या क्या काम कर रहा है इस पर प्रकाश डाला। पिछले वर्ष से अभी तक की साइकिल के क्षेत्र में हो रहे बदलाव , प्रशाशन द्वारा किये गए प्रयासों के बारे में बताया

साइक्लिंग क्यों हो सकती है भारत के लिए गेम चेंजर?

साइक्लिंग केवल फिटनेस का माध्यम नहीं है। यह प्रदूषण घटाने, ट्रैफिक जाम से बचने, पेट्रोल-डीजल के खर्च को कम करने और स्वास्थ्य सुधारने का सबसे आसान तरीका है। WHO के अनुसार रोजाना 30 मिनट साइक्लिंग करने से हार्ट डिजीज का खतरा 50% तक कम हो जाता है। अगर भारत के सिर्फ 10% शहरी यात्री भी साइकिल से सफर करने लगें, तो देश का कार्बन उत्सर्जन 1.5 करोड़ टन सालाना घट सकता है।

CNG AW80D 5.0, 2025 मेडल सेरेमनी: साइक्लिंग चैंपियंस का सम्मान

कॉन्क्लेव का एक विशेष आकर्षण रहा CNG AW80D 5.0, 2025 मेडल सेरेमनी, जिसमें साइक्लिंग समुदाय के उन सितारों को सम्मानित किया गया जिन्होंने देश में साइक्लिंग को बढ़ावा देने में अहम योगदान दिया। इस समारोह में उन खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया जिन्होंने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।

भविष्य की दिशा: वादे से आगे, एक्शन की बारी

पहाड़ी पेडलर्स साइक्लिंग ग्रुप ने घोषणा की कि कॉन्क्लेव में उठाए गए सभी सुझावों को एक “साइक्लिंग पॉलिसी व्हाइट पेपर” के रूप में तैयार करके राज्य और केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा। साथ ही, अगले एक साल में देश के पाँच बड़े शहरों में इसी तरह के आयोजन होंगे। ग्रुप ने यह भी कहा कि स्कूलों, कॉलेजों और कॉर्पोरेट सेक्टर में बड़े पैमाने पर “साइक्लिंग प्रमोशन कैंपेन” चलाए जाएंगे।

देहरादून से उठी यह गूंज क्यों मायने रखती है?

देहरादून को देश के उभरते स्मार्ट सिटी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में यहां से शुरू हुई यह पहल पूरे उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए मिसाल बन सकती है। अगर राज्य सरकार और शहरी निकाय इन सुझावों पर काम करें, तो आने वाले समय में देहरादून भारत का पहला ऐसा शहर बन सकता है जहां साइक्लिंग को प्राथमिकता दी जाएगी।

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पहाड़ी पेडलर्स साइक्लिंग ग्रुप के संस्थापक गजेंद्र रमोला ने अंत में कहा, “यह सिर्फ शुरुआत है। हम चाहते हैं कि हर भारतीय शहर साइकिल-फ्रेंडली बने। इसके लिए हमें नीतियों से लेकर आम लोगों की सोच तक बदलाव लाना होगा।” साइकिलिंग कॉन्क्लेव में 7  राज्यों के साइकिलिस्ट ने प्रतिभाग किया और अपने विचार साझा किये और साइकिल संस्कृति को आगे बढ़ाने में चर्चा की कार्यक्रम का सञ्चालन नरेश सिंह नयाल ने किया इस मौके पर अनुज केडियाल , रोहित नौटियाल , हिमानी गुरुंग , जगदीश , चांदनी अरोरा, रवीना , अनिल मोहन , जयदीप कंडारी , अक्षय तोमर , लक्ष्मण सिंह , गोपाल राणा आदि उपस्थित थे।

Saurabh Negi

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