राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस: राज्य भर में बच्चों को खिलाई गई कृमि नाशक दवाई

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस: राज्य भर में बच्चों को खिलाई गई कृमि नाशक दवाई

कल (10 सितंबर 2024) को उत्तराखंड में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत देहरादून के गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज में मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया ने की। उन्होंने छात्रों को कृमि नाशक दवाई खिलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य 1 से 19 वर्ष के बच्चों और किशोरों को कृमि संक्रमण से मुक्त करना है। राज्यभर में 23,000 निजी और सरकारी स्कूलों एवं 20,000 आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को कृमि नाशक दवाइयां खिलाई गईं। इस चरण में 37.29 लाख बच्चों और किशोरों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।

स्वास्थ्य और स्वच्छता पर जागरूकता

मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने कार्यक्रम में बच्चों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व पर जागरूक किया। उन्होंने कृमि संक्रमण के दुष्प्रभावों को समझाते हुए कहा कि कृमि मुक्ति बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए जरूरी है। यह पहल बच्चों और किशोरों में अनीमिया की समस्या को भी कम करने में सहायक होगी।

स्वाति एस. भदौरिया ने अपने संबोधन में बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन लगातार बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। इस पहल के तहत स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य बच्चों और किशोरों के पोषण स्तर को सुधारना और उन्हें स्वस्थ जीवन प्रदान करना है।

कार्यक्रम की सफलता के लिए विभिन्न विभागों का सहयोग लिया गया। इसमें शिक्षा विभाग, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड, तकनीकी शिक्षा विभाग, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), नवोदय विद्यालय समिति, निजी विद्यालय संगठन, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स, और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) शामिल हैं।

कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून डॉ. संजय जैन, सहायक निदेशक डॉ. कुलदीप मार्तोलिया, सहायक निदेशक डॉ. अर्चना ओझा, और विद्यालय के प्रधानाचार्य एम.सी. गौतम सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों और किशोरों को कृमि संक्रमण से बचाने और उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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