38वें राष्ट्रीय खेल: सिर्फ 77 दिन बचे, पर कैंप की तैयारी अब तक अधूरी
राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में अब केवल 77 दिन शेष हैं, लेकिन खिलाड़ियों के कैंप की तैयारियां धीमी गति से चल रही हैं। खेल निदेशालय और उत्तराखंड ओलंपिक संघ ने कई बार कैंपों के आयोजन की घोषणाएं की हैं, पर धरातल पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं दिख रही है। इस देरी का मुख्य कारण एक शासनादेश में संशोधन का इंतजार बताया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि राष्ट्रीय महत्व के इस आयोजन की तैयारी में इतनी सुस्ती क्यों?
शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें कैंपों की तारीख तय करने पर विचार होना था। इस बैठक में खेल निदेशालय और उत्तराखंड ओलंपिक संघ के अधिकारियों ने भाग लिया, लेकिन संशोधित शासनादेश जारी न होने के कारण बैठक बेनतीजा समाप्त हो गई। अब तक शासन और खेल अधिकारियों के बीच संवाद की कमी और फैसले में देरी की वजह से खिलाड़ियों की तैयारी का समय घटता जा रहा है।
उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन का कहना है कि जब तक शासनादेश में आवश्यक संशोधन नहीं होता, तब तक कैंप आयोजित नहीं किए जा सकते। वहीं, खेल निदेशालय का तर्क है कि कुछ खिलाड़ी विभिन्न राज्यों में व्यस्त हैं और कुछ अन्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं, जिनको वापस बुलाने में समय लगेगा। ऐसे में इन कैंपों का आयोजन कब और कैसे होगा, यह बड़ा सवाल बनता जा रहा है।
9 अक्टूबर को राष्ट्रीय खेलों की तारीख तय की गई थी, जिसमें तत्काल कैंप शुरू करने का दावा किया गया था। पहले 26 अक्तूबर को कैंप लगाने की योजना थी, फिर इसे दीपावली के बाद के लिए टाल दिया गया। बार-बार तारीखों को बदलने और नई घोषणाओं के बावजूद कोई ठोस कदम न उठाए जाने से खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों में निराशा फैल रही है। यदि समय पर कैंपों की शुरुआत नहीं हुई, तो न केवल खिलाड़ियों की तैयारियों पर इसका असर पड़ेगा बल्कि राज्य की छवि भी प्रभावित होगी। आयोजन की सुस्त गति से ऐसा प्रतीत होता है कि तैयारियों में समर्पण और ठोस रणनीति का अभाव है, जो इस राष्ट्रीय आयोजन को सफल बनाने के लिए बेहद जरूरी है।