राष्ट्रीय खेलों में बेटियों की अहम भागीदारी: 1053 महिला स्वयंसेवक व्यवस्थाओं की संभाल रहीं कमान

राष्ट्रीय खेलों में मैदान के भीतर खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं, तो वहीं मैदान के बाहर बेटियां व्यवस्थाएं संभालकर अपनी जुझारू क्षमता का परिचय दे रही हैं। इस आयोजन में 1053 महिला स्वयंसेवकों को विभिन्न व्यवस्थाओं में तैनात किया गया है। उत्तराखंड में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर महिला स्वयंसेवकों की भागीदारी देखने को मिली है, जो महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक बन रही है।
राष्ट्रीय खेल सचिवालय को स्वयंसेवक बनने के लिए 30,000 से अधिक पंजीकरण प्राप्त हुए थे, जिनमें से प्रारंभिक परीक्षा और प्रशिक्षण के बाद 2451 स्वयंसेवकों को जिम्मेदारी सौंपी गई। इनमें 1398 पुरुष और 1053 महिला स्वयंसेवक शामिल हैं। पुरुष स्वयंसेवकों की संख्या 57.4 प्रतिशत है, जबकि महिला स्वयंसेवक 42.96 प्रतिशत हैं। इन्हें पार्किंग, खिलाड़ियों को लाने-ले जाने, मेडल समारोह में सहयोग करने और अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दी गई है।
कोटद्वार की रहने वाली मानसी, जो दून विश्वविद्यालय में मीडिया एंड मास कम्युनिकेशन की छात्रा हैं और वॉलीबॉल खिलाड़ी भी हैं, ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों में स्वयंसेवक बनकर शामिल होना उनके लिए गर्व की बात है। वहीं, देहरादून की बास्केटबॉल खिलाड़ी रिदिमा ने बताया कि इतने बड़े आयोजन से जुड़कर उन्हें न केवल अनुभव मिल रहा है, बल्कि अन्य खेल मुकाबले भी देखने का अवसर मिल रहा है।