रुड़की के युवा वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल 8 साल बाद देशद्रोह मामले से बरी

रुड़की के युवा वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल 8 साल बाद देशद्रोह मामले से बरी

रुड़की के युवा वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को आठ वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बड़ी राहत मिली है। बॉम्बे हाई कोर्ट, नागपुर बेंच ने उन्हें देशद्रोह के सभी आरोपों से बरी कर दिया। निशांत पर पाकिस्तान को ब्रह्मोस मिसाइल तकनीक लीक करने का आरोप था — एक ऐसा कलंक जिसने पूरे परिवार का जीवन बदल दिया।

साल 2018 में, जब निशांत ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नागपुर में वैज्ञानिक थे और DRDO का यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड हासिल कर चुके थे, तभी 8 अक्टूबर 2018 को महाराष्ट्र ATS और यूपी ATS ने उन्हें गिरफ्तार किया। उस समय उनकी शादी को सिर्फ साढ़े पाँच महीने ही हुए थे। अगले आठ साल उन्होंने जेल में बिताए, जबकि बाहर उनकी पत्नी और माँ एक “अघोषित कैद” जैसी ज़िंदगी जीती रहीं।

रुड़की के नेहरू नगर स्थित घर पर उनकी पत्नी क्षितिज़ा अग्रवाल ने बताया कि सुबह लगभग 4:30 बजे ATS की टीम ने घर में घुसकर लैपटॉप और मोबाइल जब्त किए और निशांत को अपने साथ ले गई। इसके बाद परिवार का जीवन बिखर गया। गिरफ्तारी के नौ महीने बाद पहली चार्जशीट दाखिल हुई, लेकिन वर्षों तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया।

3 जून 2024 को नागपुर सेशंस कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा दी — एक फैसला जिसे परिवार ने अपने जीवन का सबसे दर्दनाक क्षण बताया। हाई कोर्ट में अपील की गई, जहां फॉरेंसिक रिपोर्टों और जांच में यह सामने आया कि कोई भी डेटा ट्रांसफर नहीं हुआ था, बल्कि सिर्फ अप्रासंगिक ट्रेनिंग सामग्री मिली थी।

निशांत की माँ ऋतु अग्रवाल ने कहा कि वे सिर्फ “सांस ले रही थीं, लेकिन ज़िंदा नहीं थीं।” पड़ोस में शक की नज़रें थीं, पर परिवार और कुछ करीबी रिश्तेदार उनके साथ खड़े रहे। क्षितिज़ा ने बताया कि निशांत ने कभी अपने बेटे को जेल में नहीं मिलने दिया — उन्हें विश्वास था कि एक दिन वे साफ़ नाम के साथ घर लौटेंगे।

अब जब हाई कोर्ट ने उन्हें पूरी तरह बरी कर दिया है, परिवार ने कहा कि “आठ साल में पहली बार हम सामान्य सांस ले पाए हैं।”

Saurabh Negi

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