World Breastfeeding Day 2019: विश्व स्तनपान दिवस का मकसद है महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करना। स्तनपान सिर्फ बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ही जरूरी नहीं बल्कि ये महिलाओं को भी कई गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस से दूर रखता है।
स्तनपान से मां को होने वाले लाभ
1. स्तनपान कराने से मां को स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर व बच्चेदानी का कैंसर जैसे भयावह रोगों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
2. शिशु को स्तनपान कराने के दौरान निकलने वाले हार्मोंस की सहायता से मां का बढ़ा हुआ पेट जल्दी कम होता है साथ ही प्रसव के बाद रक्तस्राव भी कम होता है।
3. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मासिक रुकने के बाद हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस) की संभावना भी कम होती है।
4. स्तनपान प्राकृतिक गर्भ निरोधक का भी काम करता है। इससे महिलाओं के तुरंत गर्भवती होने की संभावना कम होती है। इससे दो बच्चों के बीच सही अंतर भी स्थापित होता है।
5. स्तनपान की मदद से मां की शिशु के साथ विशेष बांडिंग स्थापित होती है। इससे मां को अकेलापन महसूस नहीं होता और वह खुश रहती है। स्तनपान कराने से पोस्ट प्रेग्नेंसी डिप्रेशन के आसार कम होते हैं। मां के शरीर की गर्मी से कमजोर शिशुओं का शारीरिक विकास भी बेहतर होता है।
6. माताओं के प्रोत्साहन के लिए ही डब्लूएचओ ने प्रतिवर्ष यह अभियान चलाया है। इसके लिए विश्व के सभी प्रमुख अस्पतालों में बेबी फ्रेंडली हॉस्पिटल इनीशिएटिव चलाया गया है। इसके तहत विशेष ट्रेनिंग प्राप्त डॉक्टर व नर्सिग स्टाफ गर्भावस्था से ही महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करते हैं साथ ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रसव के उपरांत शीघ्र ही स्तनपान की शुरूआत हो। इसमें आने वाली किसी भी परेशानी को दूर किया जाए। महिला के घर वालों को भी इसके प्रोत्साहन के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
7. विदेश ही नहीं, हमारे देश में भी इसी दिशा में ब्रेस्ट फीडिंग क्लब व ब्रेस्ट मिल्क बैंक की स्थापना की गई हैं। इसके साथ ही सार्वजनिक स्थलों व कार्यस्थल आदि में भी अलग फीडिंग रूम अवश्य होना चाहिए। तभी तो नन्हें शिशुओं को अमृत रूपी मां का दूध मिल सकेगा।
आकड़े बोलते हैं
यूनिसेफ द्वारा 194 देशों में ग्लोबल ब्रेस्टफीडिंग स्कोर कार्ड शोध के कुछ चौंकाने वाले तथ्य।
1. विश्व में 45 प्रतिशत से भी कम नवजात शिशुओं को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध प्राप्त होता है।
2. विश्व में केवल 38 प्रतिशत बच्चों को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है। भारत में यह आंकड़ा पिछले दस वर्षो में 46 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है, जो कि सराहनीय है। हालांकि उत्तर प्रदेश में इसी आंकड़े में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो कि चिंताजनक है।
3. विश्व में सिर्फ 23 राष्ट्र हैं जिनमें कम से कम 60 प्रतिशत शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराया जाता है। इनमें नेपाल व श्रीलंका शामिल हैं, पर भारत नहीं।
4. डब्लूएचओ के अनुसार अगर विश्वभर में सभी शिशुओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए तो भविष्य में पांच वर्ष तक की आयु वाले लगभग पांच लाख बीस हजार बच्चों को मृत्यु से बचाया जा सकता है। ऐसा करने पर अगले दस वर्षो में विश्व को लगभग दो सौ खरब रुपयों का आर्थिक लाभ होगा।