अब वन पंचायत के सरपंच भी दर्ज कर सकेंगे मुकदमे
अभी तक अवैध पातन, लकड़ी तस्करी, अवैध खनन आदि पर जंगलात खुद मुकदमा दर्ज करता था, अब वन पंचायत के सरपंच भी वनाधिकारी की तरह मुकदमा दर्ज कर सकेंगे। इसके लिए वन पंचायत नियामावली में संशोधन किया गया है। माना जा रहा है कि इससे वन अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी। उत्तराखंड में करीब 11,217 वन पंचायतें हैं। इनमें सुव्यवस्थित तरीके से कामकाज के लिए उत्तराखंड वन पंचायती नियमावली 2005 में बनाई गई थी। इसके बाद वर्ष 2012 में इसे संशोधित किया गया। अब इसे मार्च 2024 में पुन:संशोधित किया है, इसमें कुछ नई व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। इसी के तहत वन पंचायत के सरपंच को अवैध पातन समेत अन्य वन अपराधों के मामले में मुकदमा दर्ज करने का अधिकार दिया गया है। सरपंच यह मुकदमा उस वन पंचायत की प्रबंधन समिति (समिति का सचिव वन दरोगा या फॉरेस्ट गार्ड होगा) की तरफ से दर्ज करेगा। इस नियमावली में जुर्माने को लेकर भी संशोधन किया गया है। अभी तक अगर कोई व्यक्ति वन अपराध करता था तो सरपंच के माध्यम से उस पर अधिकतम 500 तक का जुर्माना लगाया जाता था। पर अब इसमें जुर्माना राशि अपराध के आधार पर तय होगी।
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