अब पहाड़ से उतर पाएंगे शिक्षक और कर्मचारी, अतिदुर्गम क्षेत्र की सेवा का मिलेगा लाभ

अब पहाड़ से उतर पाएंगे शिक्षक और कर्मचारी, अतिदुर्गम क्षेत्र की सेवा का मिलेगा लाभ

प्रदेश के 7000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर तैनात हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए राहत की खबर हैं। उनकी एक साल की सेवा दो साल दुर्गम क्षेत्र में की गई सेवा मानी जाएगी। बुधवार 20 सितंबर 2023 को अमर उजाला में तबादला एक्ट में की गई लिपिकीय गलती के प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद शासन ने इसे सुधारते हुए इस संबंध में आदेश जारी किया है। जिससे हजारों शिक्षकों और कर्मियों को तबादला एक्ट में दी गई व्यवस्था का लाभ मिलने से वे दुर्गम से सुगम में आ पाएंगे। प्रदेश में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों में पारदर्शिता के लिए तबादला एक्ट लागू किया गया है। एक्ट के तहत 7000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर तैनात शिक्षकों और कर्मचारियों की एक साल की सेवा दो साल दुर्गम मानी जानी चाहिए थी, लेकिन एक्ट में लिपिकीय गलती की वजह से विभिन्न विभागों में कर्मियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था।

एक्ट में हुई इस गलती को ठीक किए बिना कार्मिक विभाग ने पिछले महीने इस संबंध में शासनादेश कर दिया था। आदेश में कहा गया कि 7000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर तैनात कर्मियों की एक साल की सेवा दो साल की सुगम सेवा के समान मानी जाएगी। जिससे कर्मियों में असमंजस बना था। इस शासनादेश पर अमल होता तो अति दुर्गम क्षेत्र में कार्यरत कर्मी पहाड़ से नहीं उतर पाते।

सेवा की अवधि दोगुनी जोड़ी जाएगी
हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों से जुड़े इस मामले के अमर उजाला में प्रकाशित होने के बाद अब शासन ने नया आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि यदि कार्मिक सात हजार फीट से अधिक ऊंचाई के दुर्गम स्थान पर तैनात है तो उनकी दुर्गम में की गई सेवा की अवधि दोगुनी जोड़ी जाएगी। उनकी पांच साल दुर्गम क्षेत्र में की गई सेवा को 10 साल दुर्गम क्षेत्र में की गई सेवा माना जाएगा। जो कर्मचारी सात हजार फीट से कम की ऊंचाई के दुर्गम स्थान में तैनात है, तो उनकी दुर्गम में की गई एक साल की सेवा को एक साल तीन महीने दुर्गम में की गई सेवा माना जाएगा। अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल ने जारी आदेश में कहा है कि इन कर्मचारियों की आठ साल की दुर्गम की सेवा 10 साल की दुर्गम सेवा के समान माना जाएगा।

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