‘एक देश-एक चुनाव’ पर श्री श्री रविशंकर का बयान- ‘कम होगी संसाधनों की बर्बादी’
आध्यात्मिक गुरु और ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने मंगलवार को ‘एक देश-एक चुनाव’ के मुद्दे पर अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र की आत्मा हैं, और आलोचना, बयानबाजी और अन्य प्रथाएं लोकतंत्र को जागरूक बनाने में मदद करती हैं। हालांकि, उन्होंने बार-बार चुनावों से होने वाले नकारात्मक प्रभावों पर भी चिंता व्यक्त की।
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव उम्मीदवारों को अव्यावहारिक वादे और लोकलुभावन नीतियां अपनाने पर मजबूर करते हैं, जिससे जनता का भरोसा कम होता है। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति नेताओं की प्रतिष्ठा को गिराती है और मतदाताओं में यह धारणा बनती है कि राजनेता केवल चुनावों के दौरान सक्रिय होते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि चुनावी अभियान को एक निश्चित समय सीमा में सीमित किया जाना चाहिए ताकि शासन सही तरीके से संचालित हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार चुनाव कराने से संसाधनों की बर्बादी होती है, और यह प्रवृत्ति दीर्घकालिक विकास और राजकोषीय स्थिरता के लिए हानिकारक है।
श्री श्री रविशंकर का मानना है कि ‘एक देश-एक चुनाव’ की अवधारणा इन समस्याओं को कम कर सकती है और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित कर सकती है।