उत्तराखंड में ऑपरेशन ‘कालनेमि’ के तहत तीन जिलों से 134 ढोंगी बाबा और पीर-फकीर पकड़े गए

देहरादून, 14 जुलाई — उत्तराखंड में धर्म की आड़ में ठगी, अंधविश्वास और महिलाओं को मानसिक-शारीरिक शोषण का जाल फैलाने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चल रहे ‘ऑपरेशन कालनेमि’ में राज्य पुलिस को एक के बाद एक बड़ी सफलता मिल रही है। देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में चलाए गए विशेष अभियान के तहत अब तक 134 फर्जी साधु, बाबा और पीर-फकीर पकड़े जा चुके हैं, जिनमें सात के खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड भी सामने आए हैं।
देहरादून में पकड़े गए 23 और ढोंगी बाबा
देहरादून जिले में एसएसपी अजय सिंह के निर्देशन में अभियान चलाया गया। पुलिस ने शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में छापेमारी करते हुए 23 नए फर्जी बाबाओं को गिरफ्तार किया है। ये सभी लोग माथे पर तिलक, गले में माला और भगवा वस्त्र पहनकर साधु का रूप धारण कर खासकर महिलाओं और युवाओं को घरेलू समस्याओं के समाधान का झांसा देकर ठगी कर रहे थे। पूछताछ में पता चला कि ये तंत्र-मंत्र, वशीकरण और झाड़-फूंक के नाम पर लोगों को भ्रमित कर रहे थे।
गिरफ्तार व्यक्तियों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बंगाल और बिहार के निवासी शामिल हैं, जिनमें से कई लंबे समय से देहरादून में बिना पहचान और दस्तावेजों के घूम रहे थे। इनमें एक बांग्लादेशी घुसपैठिया भी शामिल था। सभी पर धोखाधड़ी, समाजिक सौहार्द बिगाड़ने और अंधविश्वास फैलाने जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
हरिद्वार में भी चला पुलिस का चाबुक, 45 फर्जी साधु गिरफ्तार
हरिद्वार जिले में एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल के नेतृत्व में श्यामपुर, कलियर, कनखल और नगर क्षेत्र में ऑपरेशन चलाया गया। यहां से 45 फर्जी साधु और फकीरों को गिरफ्तार किया गया जो श्रद्धालुओं को झांसे में लेकर तंत्र-मंत्र और झूठे समाधानों के जरिए ठगी कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि सभी अभियुक्त साधु का वेश धारण कर धार्मिक स्थानों पर खुद को प्रतिष्ठित बाबा बताकर भोले-भाले श्रद्धालुओं को गुमराह कर रहे थे।
ऊधम सिंह नगर में 66 संदिग्ध हिरासत में, सात के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज
ऊधम सिंह नगर में भी एसएसपी मणिकांत मिश्रा के निर्देशन में जिलेभर में व्यापक कार्रवाई की गई। रुद्रपुर, काशीपुर, गदरपुर, बाजपुर, सितारगंज, खटीमा सहित नौ क्षेत्रों में छापेमारी कर 66 संदिग्ध बाबाओं और फकीरों को हिरासत में लिया गया। इनमें से सात ऐसे लोग भी मिले जिनका आपराधिक रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश और बिहार में दर्ज है। इन आरोपियों में से कुछ के खिलाफ ठगी, महिला शोषण और धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं।
एसएसपी ने बताया कि कई संदिग्ध कालनेमि रूपी बाबा और फकीर पीलीभीत, बिजनौर और रामपुर से आकर जिले में सक्रिय हैं, जिनकी पहचान कर ली गई है और शीघ्र ही उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
ऑपरेशन कालनेमि क्यों?
उत्तराखंड को ‘देवभूमि’ कहा जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस धार्मिक पवित्रता की आड़ में घुसपैठिए और अपराधी बाबा वेश धारण कर फरेब फैलाने लगे हैं। इनके कारण धार्मिक आस्था, सामाजिक संतुलन और सुरक्षा व्यवस्था पर खतरा बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने इन्हीं कारणों से ‘ऑपरेशन कालनेमि’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य ऐसे फर्जी साधु-संतों को बेनकाब करना और जनमानस को ठगी व अंधविश्वास से बचाना है।
पुलिस कप्तानों ने जनता से अपील की है कि वे ऐसे फर्जी बाबाओं और पीर-फकीरों से सतर्क रहें और यदि कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आए तो तत्काल नजदीकी थाने या हेल्पलाइन को सूचना दें।