उत्तराखंड: जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए अग्रिम योजना की जरूरत: केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने जंगल की आग को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि इससे न केवल जंगलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि अतिक्रमण का खतरा भी बढ़ता है। उन्होंने सुझाव दिया कि जहां पिछले पांच वर्षों से लगातार आग लग रही है, उन क्षेत्रों को अलग श्रेणी में रखकर वहां अग्रिम कार्य योजना बनाई जानी चाहिए।
प्रेस वार्ता में मंत्री ने क्षतिपूरक वनीकरण के लिए भूमि जुटाने में उत्तराखंड जैसे राज्यों की कठिनाइयों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इकोलॉजी और इकोनॉमी को संतुलित तरीके से आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि वन और वृक्ष आवरण में कमी वाले राज्यों के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी।
वन और वृक्ष आवरण में बढ़ोतरी पर आंकड़े
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) के अनुसार, जंगल की आग को लेकर नवंबर 2023 से 2024 तक उत्तराखंड से 21,033 अलर्ट प्राप्त हुए, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों से अलर्ट मिले। हालांकि, देश में वन और वृक्ष आवरण बढ़ने की दर धीमी हुई है। 2021 की रिपोर्ट में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी, जबकि इस बार यह आंकड़ा 1,445 वर्ग किमी रहा।