UNSC में पाकिस्तान की एंट्री: क्या भारत की स्थायी सदस्यता में बनेगा बाधा?
पाकिस्तान ने बुधवार को जापान की जगह लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थायी सदस्य पद ग्रहण किया। यह पद उसे दो साल (1 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2026) के लिए मिला है। इसके साथ ही दक्षिण कोरिया भी अस्थायी सदस्य बना है। पाकिस्तान को जुलाई में परिषद की अध्यक्षता करने का मौका मिलेगा, जिससे वह UNSC का एजेंडा तय कर सकेगा।
इस नई भूमिका के साथ, पाकिस्तान ने संकेत दिए हैं कि वह भारत की UNSC की स्थायी सदस्यता के प्रयासों को रोकने की रणनीति अपनाएगा। पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत मुनीर अकरम ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करता रहेगा और स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने का विरोध करेगा। पाकिस्तान अस्थायी श्रेणी के विस्तार का समर्थन करता है और इसे मुस्लिम देशों की आवाज बनने का अवसर मानता है।
भारत और UNSC की स्थायी सदस्यता
भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में विस्तार की मांग कर रहा है। भारत ने इसे लेकर कई बार चिंता जताई है कि सुरक्षा परिषद में बदलाव की गति धीमी है। भारत का रिकॉर्ड और वैश्विक प्रभाव इसे स्थायी सदस्यता के योग्य बनाता है। सुरक्षा परिषद के मौजूदा स्थायी सदस्य जैसे फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका भारत की दावेदारी का समर्थन करते हैं। हालांकि, पाकिस्तान और अन्य कुछ देशों द्वारा भारत और जी4 (ब्राजील, जर्मनी, जापान) की सदस्यता का विरोध जारी है।
पाकिस्तान की रणनीति और भारत की चुनौती
पाकिस्तान को UNSC में सीट मिलने के बाद उसकी प्राथमिकता कश्मीर मुद्दे को उठाना और भारत के प्रयासों को बाधित करना होगी। इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) और अलकायदा प्रतिबंध समिति में भी जगह मिलने से पाकिस्तान के पास भारत को घेरने के अतिरिक्त अवसर होंगे।
भारत के लिए यह जरूरी होगा कि वह कूटनीति का सहारा लेकर अपने स्थायी सदस्यता प्रयासों को मजबूत करे और पाकिस्तान की योजनाओं को विफल करे।