दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल प्रमाण पत्र के नाम पर अवैध वसूली का मामला, जनहित याचिका दायर
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी में मेडिकल प्रमाण पत्र के नाम पर अवैध वसूली और संबंधित अधिकारियों द्वारा लीपापोती का मामला सामने आया है। समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी में मेडिकल प्रमाण पत्र के लिए मरीजों से अवैध वसूली की जा रही है। इसके बावजूद, प्रबंधन ने संबंधित डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी है।
प्राचार्य डॉ. आक्षुतोष सयाना के निर्देश पर एमएस डॉ. अनुराग अग्रवाल ने इमरजेंसी के एक डॉक्टर को नोटिस जारी किया था, लेकिन इमरजेंसी में तैनात कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। एमएस डॉ. अनुराग अग्रवाल के अनुसार, संबंधित डॉक्टर को पहले भी चेतावनी दी गई थी और अब नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। बावजूद इसके, मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर अवैध वसूली की लीपापोती की जा रही है।
रिपोर्ट में इमरजेंसी प्रभारी ने चिकित्सा अधीक्षक को सौंपते हुए संबंधित डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएस यदि चाहें तो अपने स्तर से कार्रवाई कर सकते हैं। अस्पताल में मेडिकल प्रमाण पत्र के लिए 50 रुपये शुल्क निर्धारित है, लेकिन मरीजों से 1,500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। एक छात्र से मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने के लिए 1,300 रुपये की अवैध वसूली का मामला भी सामने आया है।
जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल रिपोर्ट तलब कर उचित कार्रवाई की जाए। मानवाधिकार आयोग के सदस्य राम सिंह मीना (आईपीएस) ने दून मेडिकल कॉलेज देहरादून के प्राचार्य को नोटिस जारी कर इस मामले में आदेशित किया है।