उत्तराखंड में दिन ब दिन चढ़ रहा सियासी पारा, सावधानी और ताकत से चुनाव तैयारी में भाजपा
उत्तराखंड में शीतलहर भले थमने का नाम न ले रही हो, लेकिन सियासी पारा है कि दिन ब दिन चढ़ता ही चला जा रहा है। वर्तमान में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर कब्जा होने के बावजूद भाजपा पूरी सावधानी और ताकत से चुनाव तैयारी कर रही है।
पार्टी के प्रांतीय चुनाव प्रभारी थावर चंद गहलौत सांसदों व दावेदारों को आगाह कर चुके हैं कि जब तक लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की विधिवत घोषणा नहीं होती तब तक कोई भी अपनी उम्मीदवारी पक्की न समझे। इसके बाद से मौजूदा सांसदों की तो नींद खराब हो गई है, लेकिन टिकट के दावेदारों की जमात में खासा इजाफा होने लगा है।
वृद्ध हो चले सांसदों की जिद तो अब मैं नहीं तो मेरा, तक आ पहुंची है। जाहिर है कि सिटिंग-गेटिंग का फामरूला चलने वाला नहीं है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी टिहरी व हरिद्वार लोकसभा सीटों के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं की सभा संबोधित कर चुके हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का यह मेला कांग्रेस के लिए स्वाभाविक रूप से चिंता की वजह बना है, लेकिन पार्टी में प्रियंका वाड्रा की घोषित एंट्री के बाद से कांग्रेसी भी करिश्मा की उम्मीद लगाए हुए हैं। पार्टी की प्रांतीय इकाई ने परिवर्तन यात्रा निकाल कर राज्य के मतदाताओं से मिलने की कोशिश की है, हालांकि अच्छी मंशा से निकाली गई यह यात्र भी अंदरूनी उठापटक से अछूती नहीं रह पाई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत आजकल देहरादून में चार दिवसीय प्रवास पर हैं। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में संघ प्रमुख का चार दिन तक रहना राजनीतिक गलियारों में भी काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि संघ प्रमुख का चार दिवसीय प्रवास पूर्व निर्धारित सालाना कैलेंडर का हिस्सा है, लेकिन चुनाव पूर्व की इस बेला में इसके राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। इस दौरान वह समाज के विभिन्न वर्गो के प्रमुख लोगों से मिल रहे हैं, साथ ही संघ के राज्य में चल रहे कार्यो व विस्तार की गहन जानकारी ले रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड को संघ विचार के अनुकूल माना जाता रहा है। सीमांत प्रदेश की धार्मिक- सांस्कृतिक विरासत व सैन्य बहुलता का लाभ संघ विस्तार में स्वाभाविक रूप से मिला है।
केंद्र के अंतरिम बजट से प्रेरणा लेते हुए राज्य की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने भी प्रदेशवासियों को तोहफे बांटे हैं, हालांकि प्रदेश में बजट सत्र 11 फरवरी से आरंभ होना है। कर्मचारी आंदोलन राज्य सरकारों की सदाबहार समस्या रही है। पिछली 31 जनवरी को कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर एक दिन की हड़ताल पर जा चुके हैं। चुनाव से पहले कर्मचारी आंदोलन और न भड़के इसलिए सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश की है और लगे हाथ समाज के अन्य महत्वपूर्ण वर्गो को भी उपहार बांट डाले।
सरकार ने सातवें वेतनमान में आवास भत्ते स्लैब में पांच फीसद, सात फीसद और नौ फीसद को बढ़ा कर क्रमश: आठ, दस और 12 फीसद कर दिया। राज्य कर्मचारियों के बंद किए गए 15 भत्तों में से पांच वापस दे दिए गए। अब सचिवालय में तैनाती पर विशेष भत्ता, स्वैच्छिक परिवार कल्याण भत्ता भी दिया जाएगा। इन सबके अलावा भी कई अन्य प्रकार के प्रावधान कर्मचारियों के लिए किए गए हैं। सरकारी कर्मचारियों को आवंटित किए जाने वाले सरकारी आवासों का किराया चार गुना से घटाकर दोगुना करने का निर्णय किया गया है। सरकार ने सीमांत और गरीब किसानों को कृषि कार्यो के लिए एक लाख तक ब्याजमुक्त कर्ज देने का भी निर्णय किया है। अब महिला स्वयं-सहायता समूहों को पांच लाख रुपये तक ब्याजमुक्त कर्ज मिलेगा। प्रदेश सरकार ने सवर्ण गरीब युवाओं के लिए केंद्र सरकार की तर्ज पर आर्थिक आधार पर दस फीसद आरक्षण के लिए अध्यादेश जारी कर दिया है। राज्य के दिव्यांगों को परीक्षा आवेदन शुल्क में राहत देते हुए अनुसूचित जाति जनजाति के बराबर किया गया।
देहरादून में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट
देहरादून के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में 21 फरवरी से 19 मार्च तक अफगानिस्तान और आयरलैंड के बीच अंतरराष्ट्रीय टी-20, एक दिवसीय और टेस्ट क्रिकेट सीरीज का आयोजन होने जा रहा हैं। दून का स्टेडियम पहली बार अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय और टेस्ट मैचों की मेजबानी करेगा। इससे पहले जून 2018 में इस स्टेडियम में तीन अंतरराष्ट्रीय मैचों की सीरीज आयोजित की जा चुकी है।
अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पांच अधिकारी देहरादून पहुंच चुके हैं। उन्होंने दून के रीजेंटा होटल में दोनों टीमों के ठहरने का प्रबंध किया है। 10 फरवरी को अफगानिस्तान की टीम तो 18 फरवरी को आयरलैंड की टीम देहरादून पहुंचेगी। कुल मिलाकर राज्य बनने के बाद से क्रिकेट जगत में उपेक्षित रहे राज्य के क्रिकेट प्रेमी इस तरह के आयोजन से उत्साहित हैं।