उत्तराखंड के शहरी निकायों की जिम्मेदारी एसडीएम को सौंपने जा रही,शासन स्तर पर प्रस्ताव तैयार

उत्तराखंड के शहरी निकायों की जिम्मेदारी एसडीएम को सौंपने जा रही,शासन स्तर पर प्रस्ताव तैयार

सरकार अब उत्तराखंड के शहरी निकायों की जिम्मेदारी एसडीएम, बीडीओ जैसे अधिकारियों को सौंपने जा रही है। शासन स्तर पर इसका प्रस्ताव तैयार हो चुका है। जल्द ही इसका आदेश होने की संभावना है। दरअसल, उत्तराखंड के शहरी निकायों में अधिकारियों की कमी की वजह से कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

हालात यह हैं कि कई निकायों में तो सफाई निरीक्षक ही अधिशासी अधिकारियों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। ऐसे में सरकार का मानना है कि निकायों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शहरी स्थानीय निकायों में अधिशासी अधिकारी के पदों पर अनुसचिवीय संवर्ग से नियुक्ति होने के कारण कार्यों में दक्षता नहीं आ पा रही है।

कार्यों के प्रभावी और त्वरित निस्तारण के लिए ही सरकार इन निकायों में खंड विकास अधिकारी, एसडीएम या अन्य सुयोग्य अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। शहरी विकास विभाग के स्तर से इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है। इस प्रस्ताव पर पिछले साल नवंबर में हुए चिंतन शिविर में भी चर्चा हुई थी, जिस पर सभी अधिकारियों ने एकसुर में सहमति दी थी।

यह है शहरी निकायों में रिक्त पदों की स्थिति

सृजित पद का नाम- कुल पद- रिक्त पदों की संख्या

नगर आयुक्त-मुख्य नगर अधिकारी- 04- 04

अपर नगर आयुक्त-अपर मुख्य नगर अधिकारी-04-04

उप नगर आयुक्त-उप नगर अधिकारी-12-12

सहायक नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी-1-25- 16

अधिशासी अधिकारी श्रेणी-2 -12- 11

अधिशासी अधिकारी श्रेणी-3 -26- 23

अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत-42- 28

 

नए निकायों में भी भारी कमी

सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले करीब आठ नए निकायों का गठन किया था। इन निकायों में भी न तो अधिशासी अधिकारी हैं और न ही अन्य स्टाफ। हालात यह हैं कि अन्य निकायों से कुछ कर्मचारी भेजकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है। नए निकायों में इस वजह से विकास कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं।

यह होगा लाभ

शहरी विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहरी निकायों में एसडीएम या अन्य अधिकारियों को अधिशासी अधिकारी या नगर आयुक्त जैसे पदों की जिम्मेदारी मिलने के बाद निश्चित तौर पर लोगों तक सरकारी सुविधाएं ज्यादा आसानी से पहुंचेंगी। पीएम आवास योजना से लेकर तमाम ऐसी योजनाएं हैं, जिन पर वर्तमान में कार्यरत अधिकारी काम नहीं कर पा रहे हैं।

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