सात सरकारी विश्वविद्यालयों में 134 करोड़ की गड़बड़ियां, रिपोर्ट में खुली पोल
प्रदेश के सात सरकारी विश्वविद्यालयों में 134 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं। हैरत की बात है कि बिना शासन की अनुमति के विवि शिक्षक-कर्मचारी भर्ती करने के साथ ही सेवा विस्तार भी दे रहे हैं। करोड़ों रुपये वेतन भुगतान कर रहे हैं। मान्यता से आने वाले शुल्क से प्रबंधन को अनुचित लाभ पहुंचा रहे हैं। विधानसभा सत्र के दौरान सदन पटल पर रखी गई वर्ष 2021-22 की लेखा रिपोर्ट से इसकी पोल खुली है।
मुक्त विवि : 86 पदों पर नियम विरुद्ध भर्ती से डेढ़ करोड़ का नुकसान
विवि ने बिना पद सृजन किए 38 कार्मिकों की नियुक्ति की, जिन्हें 40.58 लाख का अनियमित भुगतान किया गया। बिना पद सृजन 48 तकनीकी, प्रशासनिक, शैक्षिक, परामर्शदाताओं की नियुक्ति नियत वेतन पर कर दी, जिससे एक करोड़ चार लाख 77 हजार का अनियमित भुगतान हुआ। सात संविदा कर्मियों को प्रतिकर भत्तों के रूप में 4.44 लाख का अनियमित भुगतान किया। विवि ने तीन करोड़ 15 लाख अग्रिम का समायोजन तीन साल में भी नहीं किया। राजकीय अनुदान पर 1.06 लाख का ब्याज मिला जो राजकोष में जमा नहीं किया।
आयुर्वेद विवि : आयुष काउंसलिंग का पैसा फर्म के खाते में
विवि के अधिकारियों ने आयुष की ऑनलाइन काउंसलिंग का पैसा सेवा प्रदाता फर्म के खाते में जमा कराया। कंपनी ने अब तक इसमें से 18.48 लाख रुपये नहीं लौटाए। सिक्योरिटी सेवा प्रदाता को उपनल की दरों से 35 लाख रुपये अधिक का भुगतान कर दिया। जांच में पता चला कि कुलसचिव ने विवि के तीनों परिसरों में विभिन्न अधिकारियों को आहरण-वितरण के लिए अधिकृत किया है।