उत्तराखंड के दून निवासी रिपुंजय नैथानी ने एनडीए के मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन किया

उत्तराखंड के दून निवासी रिपुंजय नैथानी ने एनडीए के मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन किया

संघ लोक सेवा द्वारा आयोजित नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) और नेवल एकेडमी (एनए)-1 प्रवेश परीक्षा में दून निवासी रिपुंजय नैथानी ने टॉप किया है। रिपुंजय आरआइएमसी कैडेट हैं और उन्होंने पहले ही प्रयास में यह सफलता अर्जित की है।

देशभर से चयनित 447 युवाओं में रिपुंजय शीर्ष पर काबिज हुए हैं। मूल रूप से ग्राम तम्लाग पौड़ी गढ़वाल निवासी उनका परिवार दून के बसंत विहार में रहता है। पिता आरके नैथानी फौज में कर्नल और मां पूजा नैथानी हिल फाउंडेशन स्कूल में प्रधानाचार्य हैं।

संघ लोक सेवा ने इसी अप्रैल माह में एनडीए/एनए की लिखित परीक्षा का आयोजन किया था। जिसके बाद सर्विस सलेक्शन बोर्ड ने साक्षात्कार का आयोजन किया और अब अंतिम परिणाम जारी कर दिया गया है। नया बैच दो जनवरी से शुरू होगा।

एग्जाम टॉपर रिपुंजय नैथानी सैन्य गुरुकुल कहे जाने वाले राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआइएमसी) में कैडेट कैप्टन हैं। आरआइएमसी के कुल 14 कैडेटों ने लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच मेरिट सूची में अपना स्थान बनाया है। इनमें चार कैडेट प्रथम पांच में शामिल हैं। उधर, उत्तराखंड के होनहार रिपुंजय नैथानी के देश में प्रथम स्थान हासिल करने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने रिपुंजय के उज्जवल भविष्य की कामना की है।

रिपुंजय ने अपने नाम को किया चरितार्थ

कभी-कभी नाम भी व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है। यही कुछ एनडीए टॉपर रिपुंजय के साथ भी हुआ। उनका नाम दो शब्दों (शत्रु व विजय) से मिलकर बना है। यानी शत्रु पर विजय प्राप्त करने वाला। इसी नाम के अनुरूप उन्होंने अपने कॅरियर की मंजिल भी तय कर ली है। वह सेना का हिस्सा बनने की राह में बढ़ चुके हैं, ताकि देश की तरफ आंख उठाने वाले शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकें।

रिपुंजय नेगी पिता कर्नल राजेश नैथानी वर्तमान में असम में तैनात हैं। जबकि मां पूजा नैथानी हिल फाउंडेशन स्कूल इंदिरा नगर में प्रधानाचार्य हैं। रिपुंजय ने अपनी इस सफलता का श्रेय आरआइएमसी और अपने माता-पिता को दिया है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें सैन्य वर्दी की ललक थी। वर्ष 2013 में उन्होंने आरआइएमसी की परीक्षा पास कर वहां ऐडमिशन लिया।

बता दें, सैन्य गुरुकुल कहे जाने वाले आरआइएमसी में दाखिला आसान नहीं है। यहां 25 ही सीट हैं और प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा होती है। पर रिपुंजय ने यहां भी नाम के अनुरूप ही प्रदर्शन किया। वह वर्तमान में कैडेट कैप्टन हैं। रिपुंजय घुड़सवारी, तैराकी, वाद-विवाद, बॉक्सिंग आदि में भी हमेशा बीस साबित हुए हैं। इसके अलावा रीडिंग उनकी हॉबी है। उनका कहना है कि वह सेना में जाकर एक अच्छा अफसर बन देश, प्रदेश और माता-पिता का नाम रोशन करेंगे।

हर क्षेत्र में अव्वल 

रिपुंजय शुरुआत से ही हरेक क्षेत्र में बीस साबित हुए हैं। वह न केवल शैक्षणिक बल्कि गैर शैक्षणिक गतिविधियों में भी बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हैं। खासकर पढ़ाई में वह हमेशा नंबर वन रहे। जिसके पीछे उनके घर का माहौल भी एक बड़ी वजह है। उनकी मां पूजा ने एमए के साथ ही एमबीए भी किया हुआ है। हाल में वह एजुकेशन में पीएचडी कर रही हैं। उनका कहना है कि शुरू से ही उनका प्रयास रहा कि बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दें। क्योंकि अच्छी शिक्षा ही सफलता की सीढ़ी है। रिपुंजय ने यह साबित भी किया है।

भाई की ही तरह बहन भी होनहार

रिपुंजय की एक बहन है। उसका नाम रिद्धि है और वह पाइनग्रोव स्कूल कसौली में पढ़ती है। भाई की तरह वह भी होनहार है और आगे चलकर आइएएस बनना चाहती है। भाई की इस सफलता से वह बेहद खुद है।

आरआइएमसी के 16 कैडेट हुए सफल 

राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआइएमसी) कैडेटों ने विगत वर्षों की भांति इस साल भी एनडीए परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। कॉलेज के रिपुंजय नैथानी ने जहां देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया, वहीं कैडेट दीप यग्नेश दवे दूसरे स्थान पर रहे हैं। इसके अलावा कैडेट अगम मेरिट में चौथे और कैडेट रितुराज दिलीप बडाले ने पांचवां स्थान प्राप्त किया है।

मेरिट लिस्ट में दूसरे स्थान पर आने वाले कैडेट दीप यग्नेश दवे महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। उनके पिता यग्नेश दवे मुंबई के एक संस्थान में अकाउंटेंट हैं, जबकि माता होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। चौथा स्थान प्राप्त करने वाले अगम शिमला निवासी हैं। उनके पिता सुरेश कुमार बिजनेसमैन हैं।

आरआइएमसी कमान्डेंट कर्नल विवेक शर्मा ने कहा कि संस्थान भविष्य के अफसरों के लिए एक नर्सरी की तरह है। यहां से निकला हुआ कैडेट एक बेहतर सैन्य अफसर साबित होता है। कॉलेज हर छह महीने में 20 से 25 कैडेट्स को एनडीए की परीक्षा में भेजता है। उन्हें उम्मीद है कि ये कैडेट बेहतर सैन्य अफसर बनकर देश और संस्था का नाम रोशन करेंगे।

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