ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना: अब 2028 तक पहुंचेगी ट्रेन, टनल ब्रेकथ्रू की नई समयसीमा 2026 तय

ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना: अब 2028 तक पहुंचेगी ट्रेन, टनल ब्रेकथ्रू की नई समयसीमा 2026 तय

उत्तराखंड की ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल लाइन अब दिसंबर 2028 तक कर्णप्रयाग पहुँचने की उम्मीद है। रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने नई समयसीमा निर्धारित की है, क्योंकि हिमालयी भू-भाग की चुनौतियों और टनल निर्माण में धीमी प्रगति के कारण 2026 की मूल डेडलाइन पूरी नहीं हो सकी।

यह परियोजना रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है। इससे गढ़वाल क्षेत्र का सीधा जुड़ाव राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से होगा और चारधाम यात्रियों को भी बड़ी राहत मिलेगी। RVNL ने टनल और स्टेशन निर्माण कार्य को तेज कर दिया है ताकि संशोधित लक्ष्य समय पर पूरा किया जा सके।

वर्तमान में वीरभद्र और योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन संचालित हैं। शिवपुरी और ब्यास स्टेशन पर तेजी से काम चल रहा है। पैकेज-2 के तहत देवप्रयाग, जनासू, मलेथा और श्रीनगर स्टेशनों के तकनीकी टेंडर पूरे हो चुके हैं, जबकि वित्तीय टेंडर लंबित हैं। पैकेज-3 में धारी देवी, तिलणी, घोलतीर और गौचर स्टेशनों का निर्माण 126.16 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। कर्णप्रयाग स्टेशन—जिसमें 26 लाइनें होंगी—का टेंडर भी प्रक्रिया में है।

सबसे बड़ी चुनौती तीन प्रमुख टनलों में ब्रेकथ्रू हासिल करना है, जिनमें मुख्य और एस्केप टनल मिलाकर कुल छह ब्रेकथ्रू बाकी हैं। लगभग 10 किलोमीटर टनलिंग कार्य अभी होना बाकी है, जिसमें धालवाला–नीर गद्दू, कौड़ियाला–शिवमूर्ति (तीन धारा) और नर्कोटा–घोलतीर के बीच के हिस्से शामिल हैं। मार्ग की अन्य सभी टनलें पूरी हो चुकी हैं।

Project Snapshot:

  • कुल लागत: ₹16,216 करोड़
  • कार्य प्रारंभ: 2019
  • मूल लक्ष्य: 2026
  • संशोधित लक्ष्य: दिसंबर 2028
  • कुल लंबाई: 126 किमी
  • टनल: 16 (105 किमी मार्ग टनल आधारित)
  • सबसे लंबी टनल: 14.08 किमी (देवप्रयाग–जनासू)
  • सबसे छोटी टनल: 200 मीटर (सेवाई–कर्णप्रयाग)
  • स्टेशन: 13 (वीरभद्र, योग नगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, ब्यास, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर, धारी देवी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर, गौचर, कर्णप्रयाग)

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RVNL के उप महाप्रबंधक (सिविल) ओ.पी. मालगुडी के अनुसार परियोजना को संशोधित समयसीमा के भीतर पूरा करने के प्रयास जारी हैं। दो और स्टेशनों में निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जबकि बाकी स्टेशनों के टेंडर आगे बढ़ रहे हैं।

Saurabh Negi

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